बुलंद हौसले के साथ मिथक को तोड़ती रागिनी की कहानी Prayagraj News
पुरुषों के वर्चस्व वाले इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रागिनी मौर्य परचम लहरा रही हैं। वह महिला सशक्तीकरण का उदाहरण पेश कर रही हैं।
प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। उन्होंने साबित कर दिया कि महिलाएं सिर्फ टेबल वर्क नहीं फील्ड में भी बेहतर कार्य कर सकती हैं। वह जरूरत पड़ने पर हथौड़ा, रिंच और पाना भी उठा सकती हैं। खुद ही नहीं आमजन पर भी रात के 12 बजे आफत आए तो भी वह जिम्मेदारी निभाने के लिए तत्पर रहती हैं। यही नहीं स्टॉफ से तालमेल और उनसे काम लेने का उनका जज्बा दूसरी महिलाओं को प्रेरणा देता है। बात हो रही है पुरुषों के वर्चस्व वाले इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी अभियांत्रिकी कौशल का डंका बजाने वाली रागिनी मौर्या की।
गांव की पहली लड़की थी जो पढ़ाई के लिए बाहर निकली
जलकल विभाग में अवर अभियंता रागिनी की कहानी फिल्मी तो लगती है मगर सौ फीसद हकीकत है। अंबेडकर नगर जिले में आलापुर के समडीह गांव की रागिनी जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए घर से बाहर जा रहीं थीं तो काफी विरोध हुआ था। दरअसल, पढ़ाई के लिए उनके गांव की वह पहली लड़की थी जो बाहर जा रही थी। घरवाले बिल्कुल राजी नहीं थे, मगर वह पीछे नहीं हटीं। मां आशा व पिता चंद्रभान मौर्य को उन्होंने समझाया।
रेलवे में पहले लोको पायलट की नौकरी की
इंजीनियरिंग करने के बाद भी उन्हें नौकरी पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। रेलवे में पहले उन्हें लोको पायलट की नौकरी करनी पड़ी। पुरुषों के वर्चस्व वाले सेक्टर में काम के दौरान पहले उन्हें काफी परेशानी हुई मगर उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया। इन दिनों प्रयागराज में जलकल विभाग में तैनात रागिनी पिछले दो हफ्ते से बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही हैं। बाढ़ और बारिश के कारण शहर में जलजमाव न होने पाए, इसके लिए पंपिंग स्टेशन से लगातार बारिश के पानी को पंप कराने की जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निर्वहन किया।
भाई-बहन को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी रागिनी पर
रात में दो बजे तक वह मोरी गेट पंपिंग स्टेशन पर रुक कर देखती रहतीं। बिजली गुल होते ही फौरन जेनरेटरों को स्टार्ट कराने से लेकर पंपों द्वारा पूरी क्षमता से पानी पंप करने पर उनका जोर होता था। सुबह से लेकर देर रात तक पंपिंग स्टेशन की मशीनों पर ही उनकी नजर होती थी। जरा सी चूक पर शहर का निचला इलाका डूब सकता था। इससे निपटने के लिए सभी 13 पंपों को दिन रात उन्होंने चलवाया। नतीजा यह निकला कि शहर में बारिश का पानी तेजी से पंप कर निकाला जा सका। भाई-बहन को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी रागिनी पर है! उनके पिता किसान हैं। आय सीमित है। चार भाई-बहनों में बड़ी रागिनी पर ही भाइयों और बहन को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। भाई राघवेंद्र को एसएससी की तैयारी करा रही हैं। सुरेंद्र और शालिनी को इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करा रही हैं। छोटे भाई और बहन को उन्होंने साथ में ही रखा है।