डाक्युमेंट्री के माध्यम से सजीव होगा गंगावतरण और भगीरथ तप
कुंभ मेले में डाक्युमेंट्री में गंगावतरण की कथा और भगीरथ तप की छवि दिखेगी। अभिलेखागार के शिविर में चार बड़ी एलइडी स्क्रीन पर प्रसारण किया जाएगा।
प्रयागराज : कुंभ में राजकीय अभिलेखागार के पंडाल में गंगा के उद्भव और इसकी विकास यात्रा का वृत्तचित्र दिखाया जाएगा। 25 मिनट की डाक्युमेंट्री में गंगा की भौगोलिक यात्रा, वेदों-पुराणों में संगम का महत्व, रामायण में गंगा, यमुना त्रिवेणी सहित 1870 से लेकर वर्तमान कुंभ तक के आयोजन के महत्वपूर्ण पहलू समाहित होंगे।
प्रयागराज को यूं ही तीर्थराज नहीं कहा जाता। यहां भारतीय संस्कृति की पोषक नदी गंगा दर्शन मात्र से मोक्ष का मार्ग खोलती हैं। यही कारण है कि जनसामान्य को गंगा के उद्भव और इसकी विकास यात्रा से परिचित कराने के लिए राज्य संस्कृति निदेशालय रुपहले पर्दे पर गंगा की विकास यात्रा की संपूर्ण सजीव प्रस्तुति करेगा। प्रदेश राजकीय अभिलेखागार अपने शिविर में 10 जनवरी से कुंभ के ऐतिहासिक अभिलेख पर आधारित महत्वपूर्ण तथ्यों को श्रद्धालुओं तक पहुंचाएगा।
इस डाक्युमेंट्री में राजा भगीरथ के तप से लेकर गंगावतरण, आदि शिव के केशों से निकलकर धरती तक उनके आने की पौराणिक कथा दिखेगी तो साथ ही गंगा का वैज्ञानिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व भी परिलक्षित होगा। मुख्य रूप से गंगा की पवित्रता का वैज्ञानिक महत्व, आक्सीजन की कमी के बावजूद गंगा जल का खराब न होना, 2510 किलोमीटर के सफर में पडऩे वाले पड़ाव दिखाए गए हैं।
अभिलेखागार अधिकारी अमित अग्निहोत्री ने बताया कि कुंभ में स्थापित शिविरों में चार बड़ी स्क्रीन पर डाक्युमेंट्री दिखाई जाएगी। इसके अतिरिक्त गंगा की पवित्रता को रेखांकित करते अभिलेख भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
समाहित होंगे अन्य महत्वपूर्ण पहलू
डाक्युमेंट्री में सम्राट हर्षवर्धन द्वारा प्रयाग में दान का महत्व, आदि शंकराचार्य द्वारा ङ्क्षहदू धर्म के माध्यम से कुंभ को संगठित करने का प्रयास, मध्यकालीन इतिहास में राजाओं द्वारा गंगा जल के महत्व का वर्णन, यूरोपीय यात्रियों द्वारा माघ का आंखों देखा हाल, ब्रिटिश सरकार में कुंभ के विस्तार के लिए किए गए प्रयास प्रमुख रूप से शामिल होंगे। पांडुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर का कहना है कि प्रसारण कुंभ में संपूर्ण अवधि तक जारी रहेगा।