LT ग्रेड शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में UPPSC की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार गिरफ्तार, STF की कार्रवाई
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने शिकंजा कस दिया। इस मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को एसटीएफ ने हिरासत में लिया।
प्रयागराज, जेएनएन। एलटी ग्रेड परीक्षा पेपर लीक मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने तीन दिन में लगभग 10 घंटे तक उनसे पूछताछ की।
वह सभी सवालों का जवाब नहीं दे सकीं। साथ ही मोबाइल फोन, लैपटॉप की जांच में उनकी संलिप्तता पाई गई है। इसी आधार पर गुरुवार दोपहर उन्हें गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ टीम ने उन्हें गुरुवार देर शाम वाराणसी में विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया, जहां से न्यायिक हिरासत में जिला कारागार भेज दिया गया।
बुधवार को एसटीएफ ने छानबीन के बाद उनका मोबाइल व लैपटॉप जब्त कर लिया था। आयोग के मुख्यालय स्थित आवास और कार्यालय से कई फाइलें भी सील की गई थीं। जांच के दौरान पेपर लीक से जुड़े कई अहम साक्ष्य मिलने के बाद उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। गुरुवार सुबह वाराणसी के एसपी क्राइम ज्ञानेंद्र सिंह, सीओ अनिल राय और सीओ एसटीएफ नवेंदु कुमार टीम के साथ फिर आयोग पहुंचे। यहां परीक्षा नियंत्रक से करीब दो घंटे सवाल-जवाब किया गया। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गत मंगलवार को वाराणसी एसटीएफ ने कोलकाता निवासी प्रिंटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने अंजू कटियार को 10 लाख रुपये देने की बात कुबूल की थी। उसके मोबाइल से अंजू व कौशिक के बीच वाट्सएप पेपर को लेकर बातचीत की पुष्टि हुई थी। इस पर मंगलवार रात सर्च वारंट लेकर पहुंची एसटीएफ ने आवास में छानबीन करते हुए चार घंटे अंजू से पूछताछ की थी। फिलहाल परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ अब दूसरे बिंदुओं पर जांच कर रही है।
सात लोग अभी फरार
मामले में शामिल जौनपुर के रंजीत, संजय, अजीत, अजय चौहान, गाजीपुर के शैलेंद्र, प्रभुदयाल और वाराणसी के गणेश की तलाश अब शुरू हुई है। इन सभी के खिलाफ वाराणसी के चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में एसटीएफ की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। सीओ एसटीएफ नवेंदु कुमार ने बताया कि पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ मुकदमा लिखाया गया था। उन्हें गिरफ्तार कर वाराणसी भेजा गया है। इस मामले में अगर किसी और की संलिप्तता मिलती है तो उसके विरुद्ध भी नियमानुसार कार्रवाई होगी।
परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ ठोस सुबूत
पेपर आउट करने वाले गिरोह से आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता की मिलीभगत साबित करने के लिए एसटीएफ के पास ठोस सुबूत हैं। गिरोह सरगना कौशिक के बयान के अलावा उससे वाट्स एप पर अंजू लता की बातचीत के मैसेज भी हैं। कई मैसेज ऐसे हैं जिनमें उन्होंने अशोक देव चौधरी द्वारा पुलिस में शिकायत पर चिंता जाहिर की है। परीक्षा में गड़बड़ी के बारे में एसटीएफ के पत्र और पुलिस द्वारा प्रकाशक के खिलाफ मुकदमा लिखाने की सलाह की अनदेखी करते हुए कौशिक को ही पेपर छापने का जिम्मा देने से भी अंजू लता फंस गई हैं। एसटीएफ ने इसे गिरोह बनाकर आपराधिक साजिश करते हुए पेपर आउट कर भारी लाभ कमाने और लोक हित के खिलाफ अपराध करार देते हुए चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत कई धाराओं में मुकदमा लिखाया है।
20-20 लाख रुपये में अभ्यर्थियों से परीक्षा पास कराने का सौदा
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर आउट मामले में कल वाराणसी से गिरफ्तार कोलकाता के प्रिटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार ने पूछताछ में कई राज उगले थे। उसने बताया कि गिरोह ने 20-20 लाख रुपये में अभ्यर्थियों से परीक्षा पास कराने का सौदा किया था। एसटीएफ का दावा है कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक (सचिव) अंजू लता कटियार की गिरोह से मिलीभगत है। उन्हें गिरोह का सरगना मोटी रकम देता रहा है। इस मामले में अंजू कटियार के खिलाफ चोलापुर थाने में भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया है।
यूं बेनकाब हुआ इस गिरोह का खेल
सीआइडी बंगाल के डीआइजी ने बीते वर्ष 29 जुलाई को आयोजित एलटी ग्र्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट होने के बाबत उत्तर प्रदेश एसटीएफ के आइजी को पत्र भेजा था। गिरोह में शामिल कोलकाता के अशोक देव चौधरी ने भी डीजीपी को पत्र के जरिए पूरे मामले की जानकारी दी थी। इस मामले की जांच के दौरान एसटीएफ वाराणसी यूनिट को अशोक देव ने बताया कि गिरोह का सरगना कोलकाता स्थित सिक्योरिटी प्रिटिंग प्रेस का मालिक कौशिक कुमार है। पेपर उसके प्रेस में ही छपते हैं। उसने ही पिछले साल एलटी ग्रेड परीक्षा के पेपर आउट कर 20-20 लाख रुपये में सौदा तय किया था।
परीक्षा से एक दिन पहले 28 जुलाई को 50 अभ्यर्थियों को वाराणसी में यूपी कॉलेज के पास बुलाकर उन्हें 10 किलोमीटर दूर कौशल विकास केंद्र ले गया था। कौशिक ने अशोक को पेपर देकर वाराणसी भेजा था। अभ्यर्थियों को हिंदी और सामाजिक विज्ञान के सॉल्व पेपर देकर दो घंटे में याद करने के लिए कहा गया। फिर पेपर जला दिए गए। अशोक ने पेपर जलाते समय मोबाइल से चुपके से वीडियो बनाया और फोटो भी खींची थी। परीक्षा से पहले इन 50 अभ्यर्थियों में प्रत्येक से पांच लाख रुपये तक एडवांस लिए थे।
अभ्यर्थियों ने भी दी अहम जानकारी
एसटीएफ ने कुछ अभ्यर्थियों को भी बुलाकर पूछताछ की। उन्होंने बताया कि जौनपुर में मडिय़ाहूं क्षेत्र के विधिपुर गांव निवासी अजय चौहान और अजीत चौहान तथा गाजीपुर में गोरा बाजार के प्रभुदयाल ने उनसे 20-20 लाख रुपये में परीक्षा पास कराने की जिम्मेदारी ली थी। ज्यादातर अभ्यर्थी पूर्वांचल के थे।
भेदिए की सूचना पर पकड़ा गया सरगना
भेद खोलने वाले अशोक देव चौधरी के बताए तथ्यों की जांच से साफ हो गया कि उसकी शिकायत सही है। दो दिन पहले 27 मई को अशोक ने ही एसटीएफ को सूचना दी कि कौशिक लोक सेवा आयोग की आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट करने के सिलसिले में गिरोह के लोगों से मिलने वाराणसी गया है। एसटीएफ ने सोमवार रात उसे चोलापुर इलाके में गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने बताया कि वह आयोग की परीक्षा नियंत्रक ने उसे आगामी परीक्षा के पेपर छापने के लिए दिया है।
उसने कुबूला कि 29 जुलाई 2018 को आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर उसने आउट करने के इरादे से ज्यादा छाप लिए थे। परीक्षा से एक दिन पहले सॉल्व पेपर अभ्यर्थियों को पढ़ाने के बाद गिरोह के रंजीत कुमार ने उसे 50 लाख रुपये दिए थे। अशोक देव चौधरी की बगावत से पूरा खेल बिगड़ गया। उसने पुलिस में शिकायत कर दी। कौशिक ने बताया कि पेपर छापने के लिए मिलने वाली धनराशि में पांच फीसद बतौर कमीशन वह परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को देता था। बताया कि 26 मई को प्रयागराज में नए पेपर लेते वक्त उसने अंजू लता को 10 लाख रुपये नगद दिए हैं।
कोर्ट से सर्च वारंट जारी
परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार के आवास और कार्यालय की तलाशी के लिए सर्च वारंट जारी किया गया है। भ्रष्टाचार की अदालत के विशेष न्यायाधीश की ओर से एलटी ग्रेड की परीक्षा के पेपर लीक होने के मामले में यह वारंट जारी किया गया है। इस मामले में दर्ज मुकदमे में आरोपी कौशिक कुमार कर ने सचिव को 10 लाख रुपये देने की बात स्वीकारी थी। इसी की बरामदगी के लिए सर्च वारंट जारी करने का अनुरोध आवेदन में किया गया था।
सैंपल पेपर के साथ गिरफ्तार हुआ था आरोपी
26 मई को लोक सेवा आयोग का पेपर छापने वाले प्रिटिंग प्रेस के मालिक आरोपी कौशिक कुमार को इलाहाबाद स्थित लोकसेवा आयोग ऑफिस के पास से एसटीएफ ने सैम्पल पेपर के साथ गिरफ्तार किया था। 2018 में हुई एलटी ग्रेड की परीक्षा में आरोपी ने परीक्षा के एक दिन पहले सहयोगी आरोपियों के जरिए प्रति छात्र ढाई से 5 लाख लेकर 50 छात्रों को हल पेपर मुहैया कराया गया। 26 मई को आरोपी लोक सेवा आयोग की सचिव से मिलने गया। तब पीसीएस मेंस का सील पेपर छापने को दिया गया था। इसी दौरान पेपर लीक के बदले उनको 10 लाख दिए जाने का आरोप है।
आरोपी का कलमबंद बयान दर्ज कराने की मांग
विवेचक सीओ पिंडरा अनिल रॉय ने कोर्ट में आवेदन देकर आरोपी का कलमबंद बयान दर्ज कराए जाने का भी अनुरोध किया है। 30 जून को अदालत ने इस मामले में तारीख लगा दी। अदालत में कहा गया कि प्रकरण बहुत महत्वपूर्ण और राज्य स्तर से सम्बंधित है।
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