महानगरों की ओर चल पडे़ प्रवासी कामगारों के कदम
कोरोना को पीछे छेाड़कर प्रवासी कामगारों के कदम फिर से महानगरों की ओर चल पड़े हैं। दिल्ली रूट की ओर जाने वाली बसों में भीड़ देखी जा रही है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : धान की रोपाई और रक्षाबंधन के बाद अब प्रवासी कामगारों के कदम फिर महानगरों की ओर बढ़ चले हैं। ट्रेनों में सीट नहीं मिल रही है तो बसों से ही जा रहे हैं। अधिकांश कामगार दिल्ली रवाना हो रहे हैं। इसलिए दिल्ली रूट पर अतिरिक्त बसें लगानी पड़ी हैं।
कोरोना काल में लाकडाउन लागू होने के बाद कामकाज बंद होने से विभिन्न महानगरों में रह रहे तमाम कामगार घर लौट आए थे। प्रयागराज में ऐसे कामगारों की तादात सवा लाख से ज्यादा थी। महानगरों में कुछ कामकाज शुरू हुआ तो कंपनियों ने कामगारों को बुलाना शुरू कर दिया। किराया-भाड़ा देने के साथ उनकी सुरक्षा की गारंटी भी दी गई। रक्षाबंधन के बाद बड़ी संख्या में कामगारों के कदम महानगरों की ओर बढ चले हैं। दिल्ली के लिए तकरीबन दो हजार लोग रोजाना बसों से जा रहे हैं। भीड का आलम यह है कि सिविल लाइंस से जहां सामान्य दिनों में 10 से 15 बसें ही दिल्ली जाती थीं, अब 25 से अधिक बसें जा रही हैं। प्रयागराज परिक्षेत्र के अन्य डिपो की बसों को मिला लिया जाय तो यह संख्या 40 से अधिक है। कोरोना संक्रमण के चलते बसों में 40-50 से ज्यादा मुसाफिरों को नहीं बैठाया जा रहा है। रोजाना औसतन दो हजार लोग दिल्ली जा रहे हैं। इस तरह पिछले 10 दिनों के भीतर तकरीबन 20 हजार कामगार दिल्ली जा चुके हैं। वहां से हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के विभिन्न शहरों में उनका गंतव्य है।
रोडवेज की भी बढ़ी आय: प्रवासी कामगारों के महानगरों की वापसी से रोडवेज की माली हालत भी कुछ सुधरी है। दिल्ली तक अप-डाउन मिलाकर प्रति बस लगभग 50 हजार रुपये की आय हो रही है। प्रयागराज से दिल्ली तक साधारण किराया 730 रुपये प्रति यात्री है।
'विगत कुछ दिनों से दिल्ली मार्ग पर यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। अधिकांश प्रवासी कामगार हैं, जिन्हें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के शहरों में जाना है। प्रयागराज परिक्षेत्र से रोजाना 40 के करीब बसें इस मार्ग पर भेजी जा रही हैं। इससे रोडवेज की आय में भी इजाफा हुआ है।'
- सीबी राम, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, सिविल लाइंस