सरस्वती कूप में होंगे वाग्देवी की प्रतिमा के भी दर्शन
किला स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप का दर्शन कुंभ में कराने के लिए प्रशासन ने सैन्य अफसरों को पत्र भेजा है। लोगों को सरस्वती कूप के साथ वाग्देवी की प्रतिमा के भी दर्शन होंगे।
श्रीनारायण मिश्र, प्रयागराज : पुराण कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु बाल मुकुंद का रूप धारण कर जिस अक्षयवट के पत्ते पर शयन करते हैं, उसके दर्शन एक जनवरी से बेरोकटोक किए जा सकेंगे। इतना ही नहीं, संगम तट पर स्थित किले में श्रद्धालुओं को सरस्वती कूप के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा के भी दर्शन होंगे। प्रतिमा निर्माण की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रशासन ने सैन्य अफसरों को पत्र भेज दिया है।
संगम तट स्थित किले के अंदर आस्था के इन केंद्रों को दर्शनार्थ खोले जाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही गंभीर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां खुद इस मामले पर नजर रख रहे हैं, वहीं पिछले दिनों रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यहां आकर इन धार्मिक केंद्रों का पर्यवेक्षण किया। इसी के बाद जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने सेना के कर्नल क्यू को पत्र भेजा है। 17 अक्टूबर को महानिदेशक पर्यटन की ओर से रक्षा मंत्रालय को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए जिलाधिकारी ने अनेक बिंदुओं पर रक्षा मंत्रालय की अनुमति प्राप्त करने का आग्रह सैन्य अधिकारियों से किया है।
पत्र के अनुसार एक जनवरी से 31 मार्च 2019 तक कुंभ मेला अवधि में अक्षयवट, सरस्वती कूप और पातालपुरी के दर्शन किए जा सकेंगे। दर्शन का यह सिलसिला इस अवधि में 24 घंटे रहेगा और मेला अवधि के बाद सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की भारी संख्या का अनुमान देखते हुए किले में रैंप से प्रवेश होगा और निकासी ओडी फोर्ट के रास्ते से कराए जाने का सुझाव है। जबकि सामान्य दिनों में रैंप से ही प्रवेश और निकासी दोनों होंगे।
ढाई करोड़ रुपये से ये होंगे काम :
किले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सड़क निर्माण और सरस्वती प्रतिमा स्थापना पर राज्य सरकार 2.54 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसका इस्टीमेट सेना ने तैयार किया है और सेना ही डिपोजिट वर्क के तौर पर यह निर्माण कराएगी।
थ्री-डी से दिखेगी सियाराम की छवि :
अक्षयवट, सरस्वती कूप मंदिर और उसके एप्रोच रोड पर थ्री डी आडियो विजुअल भी मेला प्रशासन संचालित करेगा। इसमें थ्री डी के जरिए भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण आदि की छवियां दिखाई देंगी। इससे वातावरण भक्तिमय रहेगा।
मुख्यमंत्री के निर्देशन में यह सारा प्रयास चल रहा है। सेना को पत्र भेजकर इस संबंध में सुझाव दिए गए हैं। अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा।
-विजय किरन आनंद, मेलाधिकारी