उपेक्षा के आंसू बहाने पर विवश दीनदयाल की प्रतिमा
भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा उपेक्षा का शिकार है। अभी तक सीपीआइ परिसर में लगी इनकी प्रतिमा का लोकार्पण ही नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : सेंट्रल पेडागाजिकल इंस्ट्टीयूट (सीपीआइ) संस्थान कभी योग्य शिक्षकों का जनक रहा है। हजारों शिक्षक यहां से प्रशिक्षित होकर अलग-अगल संस्थानों में शिक्षा की अलख जगाते रहे हैं। किंतु, कम लोग ही जानते हैं कि इस संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में डॉ. संपूर्णानंद और भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसी विभूतियां भी शामिल रही हैं। दीनदयाल ने 1941-42 की अवधि में आगरा से आकर यहां अध्ययन किया था। आज इस संस्थान का परिसर अपने भाग्य पर आंसू बहा रहा है।
दीनदयाल की विचारधारा को आत्मसात करने वाली राजनीतिक पार्टी आज केंद्र व प्रदेश की सत्ता पर काबिज है। बावजूद इसके सीपीआइ परिसर विकास की बाट जोह रहा है। विडंबना देखिए कि सीपीआइ परिसर में दीनदयाल की संगमरमर की आदमकद प्रतिमा लगी है, लेकिन वह सालों उपेक्षित है। राजनीतिक चिंतक व्रतशील शर्मा बताते हैं कि दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रितत्व काल में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रवींद्र शुक्ल के प्रयास से स्थापित हुई। लेकिन आजतक इसका लोकार्पण नहीं हो पाया है। 1992 को जुटे थे दिग्गज
दीनदयाल की दूसरी प्रतिमा बालसन चौराहा पर लगी है। यह प्रतिमा दुर्लभ स्मृतियां संजोए है। वरिष्ठ भाजपा नेता नरेंद्र देव पांडेय बताते हैं कि बालसन चौराहा स्थित दीनदयाल प्रतिमा स्थल पर 13 जनवरी 1992 को देश के दिग्गज नेताओं का जमघट हुआ था। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुआई में कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए निकली एकता यात्रा का प्रयाग में पड़ाव हुआ था। उस समय एकता यात्रा के संचालन प्रमुख मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। दीनदयाल का नमन करने के लिए उनकी प्रतिमा स्थल पर डॉ. जोशी, नरेंद्र मोदी, भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र, उत्तर प्रदेश में एकता यात्रा के संयोजक राजनाथ सिंह, विहिप नेता अशोक सिंहल सहित अनेक नेता जुटे।