स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने शुरू की बंदी की मौत की पड़ताल Prayagraj News
मकान मालिक की नाबालिग बेटी के अपहरण और दुष्कर्म का मुकदमा लिखा गया था। जनवरी 2013 में सोरांव पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर नैनी सेंट्रल जेल भेजा था।
प्रयागराज, जेएनएन । नैनी सेंट्रल जेल में दुष्कर्म के आरोपित बंदी राजू उर्फ बोदा की वर्ष 2013 में संदिग्ध मौत के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर एडीजी के नेतृत्व में गठित एसआइटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) ने जांच शुरू कर दी है। इस मामले में कुछ महीने पहले जेलकर्मियों पर हत्या का केस लिखा गया था। एसआइटी को दो महीने में जांच रिपोर्ट सौंपनी है।
दुष्कर्म और अपहरण के मामले में जेल में बंद था
तेलियरगंज निवासी 25 वर्षीय राजू उर्फ बोदा वर्ष 2012 में परिवार से अलग फाफामऊ में किराए के कमरे में रहने लगा था। उसी दौरान उस पर मकान मालिक की नाबालिग बेटी के अपहरण और दुष्कर्म का मुकदमा लिखा गया था। जनवरी 2013 में सोरांव पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर नैनी सेंट्रल जेल भेजा था। जेल में न्यायिक हिरासत के दौरान 23 फरवरी को उसकी हालत बिगड़ी और एसआरएन अस्पताल में उसका दम टूट गया। डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया, लेकिन मौत की वजह साफ नहीं हो सकी। बिसरा की जांच में भी कोई कारण नहीं सामने आया। मगर परिवार के लोगों ने आरोप लगाया कि जेल में उसे पीटकर मार डाला गया है।
चेहरे पर थे कई जख्म
दरअसल पोस्टमार्टम के दौरान राजू के चेहरे पर कई जख्म थे। इसकी वीडियोग्राफी भी की गई थी। इन चोटों को ही घरवालों ने पिटाई का नतीजा बताया था, जबकि पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम हाउस में चूहों ने चेहरा कुतर दिया था। डॉक्टरों ने भी उसे मौत के बाद हुए जख्म माने थे। परिवार के लोगों की लगातार शिकायतों और न्याय की मांग को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लेते हुए पांच लाख रुपये मुआवजा भी दिलाया था। हालांकि परिवार के लोग राजू की मौत को कत्ल करार देते हुए जेल के कर्मचारियों पर मुकदमा और कार्रवाई पर अड़े रहे।
जेल कर्मियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
हाईकोर्ट के आदेश पर एसजीपीजीआइ लखनऊ में गठित मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वीडियोग्राफी के आकलन के बाद चेहरे के जख्मों को एंटी मार्टम यानी मौत से पहले की चोट होने की राय दे दी। फिर अदालत के आदेश पर इसी साल 12 जून को भाई विपिन कुमार की ओर से नैनी थाने में जेल के तत्कालीन अधीक्षक और जेल कर्मियों के खिलाफ हत्या का केस लिखा गया। शासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर एडीजी जोन प्रयागराज सुजीत पांडेय, एसपी पीएचक्यू शगुन गौतम और कौशांबी के एएसपी की तीन सदस्यीय एसआइटी गठित कर दी। एडीजी ने पिछले दिनों जेल जाकर घटनाक्रम के बारे में पड़ताल की।
फोरेंसिक एक्सपर्ट से भी सलाह ली जा रही
मामले में विधिक परामर्श और फोरेंसिक एक्सपर्ट से भी सलाह ली जा रही है। नैनी सेंट्रल जेल के तत्कालीन अधीक्षक अंबरीश गौड़ को कुछ दिन पहले वाराणसी के वरिष्ठ जेल अधीक्षक पद से निलंबित किया गया हैैं। उन पर यह कार्रवाई भी नैनी जेल में उनकी नियुक्ति के दौरान निर्माण से जुड़ी गड़बड़ी पर की गई है।
जेल में होती रहती है संदिग्ध मौत
सेंट्रल जेल नैनी में कई विचाराधीन बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों की संदिग्ध हालात में मौत हो चुकी है। हत्या के आरोप लगे और जेलकर्मियों पर मुकदमा हुआ, मगर जांच में लीपापोती होती रही है। वर्ष 2011 में वकील एसके अवस्थी की जेल में पिटाई और अस्पताल में बेडिय़ों से जकड़ इलाज के दौरान मौत होने पर भारी बवाल, आगजनी, तोडफ़ोड़ और हत्या का मुकदमा हुआ था। दो महीने पहले जेल में फरारी के बाद गिरफ्तार 50 हजार के इनामी प्रिंस की फांसी पर लटकी लाश मिली, जिसे खुदकशी बताया गया। ऐसी मौतों की सूची बेहद लंबी है, लेकिन जेल के भीतर का सच छिपा रहता है।