मौनी अमावस्या 2022: 27 वर्ष बाद ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग, संगम में डुबकी से सुख-समृद्धि मिलेगी
Mauni Amavasya 2022 ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि 27 वर्ष बाद मौनी अमावस्या पर मकर राशि में शनि व सूर्य साथ संचरण करेंगे। इसके बाद ऐसा संयोग 27 वर्ष बाद आएगा। इसके साथ दो राशियों में तीन-तीन ग्रहों का संचरण होना अत्यंत पुण्यकारी है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। माघ मास की अमावस्या तिथि अर्थात मौनी अमावस्या स्नान पर्व एक फरवरी को है। प्रयागराज माघ मेला का यह सबसे प्रमुख स्नान पर्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। मौनी अमावस्या पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है, जिससे स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। अमावस्या तिथि पर धनु राशि में सूर्य, मंगल व शुक्र का संचरण होगा। वहीं, मकर राशि में चंद्रमा, शनि व सूर्य का संचरण करेंगे।
मकर राशि में शनि व सूर्य एक साथ करेंगे संचरण : आचार्य अविनाश
ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि 27 वर्ष बाद मौनी अमावस्या पर मकर राशि में शनि व सूर्य साथ संचरण करेंगे। इसके बाद ऐसा संयोग 27 वर्ष बाद आएगा। इसके साथ दो राशियों में तीन-तीन ग्रहों का संचरण होना अत्यंत पुण्यकारी है। मौन रखकर संगम में स्नान करने वाले को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
जानें, अमावस्या तिथि कब से कब तक रहेगी
आचार्य अविनाश ने बताया कि 31 जनवरी की दोपहर 1.27 बजे से अमावस्या तिथि लग जाएगी, जो एक फरवरी को दिन में 11.29 बजे तक रहेगी। मंगलवार का दिन होने के कारण भौमवती अमावस्या मनाई जाएगी। सिद्धि योग सुबह 7.10 बजे तक है। इसके बाद व्याघृत योग लगेगा। श्रवण नक्षत्र स्नान पर्व का महत्व बढ़ा रहा है।
मौनी अमावस्या पर यह करें और ये प्रतिबंधित है: आचार्य विद्याकांत
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार पद्म पुराण में माघ मास की अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ बताया गया है। इसमें मौन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। स्नान के समय ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। भूलकर भी छल-कपट, धोखा धड़ी जैसे अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए। गाय, कुत्ता व कौआ का संबंध पितरों से माना गया है। ऐसे में अमावस्या पर इनके अपमान से बचना चाहिए। बल्कि इन तीनों के लिए भोजन निकालना चाहिए। तन, मन और वाणी को पवित्र रखना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। सुबह स्नान के बाद पीपल की परिक्रमा करना चाहिए, जबकि शाम को पीपल पर दीपदान करना चाहिए।