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हवन से भी होता है रोगों का नाश, ऋषि-मुनि स्‍वस्‍थ रहने के लिए यज्ञ चिकित्‍सा भी करते थे, क्‍या कहते हैं जानकार

सतीश राय ने कहा कि यज्ञ चिकित्सा भारत की अति प्राचीन चिकित्सा पद्धति है l विशिष्ट मंत्रों की शक्ति के साथ औषधि युक्त सामग्री से हवन का धुआं रोम छिद्रों मुंह नाक के माध्यम से शरीर में पहुंच कर लाभ देता है l शरीर रोग मुक्त हो जाता है l

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaPublished: Tue, 04 Oct 2022 08:42 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 08:42 AM (IST)
हवन से भी होता है रोगों का नाश, ऋषि-मुनि स्‍वस्‍थ रहने के लिए यज्ञ चिकित्‍सा भी करते थे, क्‍या कहते हैं जानकार
प्रयागराज में रेकी सेंटर पर स्‍मर्श चिकित्‍सा विद सतीश राय ने हवन का महत्‍व बताया।

प्रयागराज, जेएनएन। प्राचीन काल में मनुष्य जल, अग्नि, मिट्टी, सूर्य प्रकाश, शुद्ध हवा, वनस्पतियों, छाल, पत्ती, खनिज आदि से शरीर को स्वस्थ रखते हुए रोग तथा महामारी से शरीर की रक्षा करते थे l यह बातें स्पर्श चिकित्सा के ज्ञाता सतीश राय ने कही। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनि स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक रहन-सहन एवं खानपान का प्रयोग करते थे l बीमार होने पर प्रकृति द्वारा दिए गए तत्वों का प्रयोग कर निरोग हो जाते थे l हमारे ऋषि-मुनियों को स्वस्थ रहने की बहुत सारी विधियां पता थी उन्हीं में से एक यज्ञ चिकित्सा भी है इसीलिए हमारे ऋषि मुनि प्रतिदिन हवन करते थे l

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यज्ञ चिकित्‍सा भारत की अति प्राचीन पद्धति : एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान, मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी सेंटर पर स्‍मर्श चिकित्‍सा विद सतीश राय ने कहा कि यज्ञ चिकित्सा भारत की अति प्राचीन चिकित्सा पद्धति है l यज्ञ चिकित्सा का मूल सिद्धांत है कि यह सूक्ष्म रूप मे कार्य करती है l इसकी उपचार औषधियां सूक्ष्म रूप में शरीर के अंदर पहुंचकर ज्यादा असर करती हैं l विशिष्ट मंत्रों की शक्ति के साथ जब औषधि युक्त सामग्री से हवन किया जाता है तो हवन का धुआं रोम छिद्रों, मुंह और नाक के माध्यम से शरीर के भीतर पहुंच कर लाभ देता है l शरीर रोग मुक्त हो जाता है l

यज्ञ की आहुतियों का धुआं लाभदायक : सतीश राय बोले कि तिब्बत में आज भी सर्दी- जुखाम, माइग्रेन ,सर दर्द ,सर भारी, मिर्गी ,हृदय ,फेफड़े जैसे रोग में जड़ी-बूटी के धुएं से उपचार किया जाता है l घर में यज्ञ करने से रोग उपचार के साथ-साथ इनके अन्य फायदे भी हैं यज्ञ में डाली गई आहुति का धुआं वातावरण को शुद्ध करता है l यह हवा में फैले 90 प्रतिशत रोगाणु और विषाणु सहित मच्छरों का नाश करता है इसकी सुगंध शरीर के अंदर रोगों को नष्ट करती है l

हवन के धुएं से नकारात्‍मक ऊजा का होता है नाश : सतीश राय ने कहा कि हमारे पूर्वज हवन करने से होने वाले लाभ को जानते थे तभी उन्होंने हवन करने का नियम बनाया। इसीलिए भारत में ज्यादातर त्योहार धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए हैं l यहां पर प्रत्येक मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ एवं धार्मिक कार्य हवन के बिना अधूरा है l हवन की धुएं से घर का वातावरण शुद्ध होता है और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है l त्योहारों पर ज्यादातर घरों में एक निश्चित समय पर एक साथ हवन होता है जिससे क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा शुद्ध हो जाता है l

हवन में इन वस्‍तुओं का प्रयोग लाभदायक : उन्होंने कहा कि प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के पश्चात औषधियों से भरपूर सामग्री (जैसे तिल, जौ, गुड़, गुग्गुल, ब्राह्मी,चंदन, कपूर, नवग्रह की लकडी, घी, शहद, देवदार, मोथा, शंखपुष्पी, इलायची, सतावर, अश्वगंधा, लोबान, नारियल, पान, सुपारी, पंचमेवा तथा औषधीय लकड़ी एवं छाल) से हवन जरूर करना चाहिए जिससे रोग-जनित विषाणुओं का नाश हो और वातावरण शुद्ध रहे l


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