Somvati Amavasya: दो दिन रहेगा अमावस्या का योग,त्रिग्रहीय योग में सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि सोमवती अमावस्या पर मीन राशि में बुध सूर्य व चंद्रमा का संचरण होगा। जबकि शनि अपनी स्वराशि मकर कुंभ राशि में वृहस्पति तथा वृष राशि में मंगल व राहु संचरण करेंगे।
प्रयागराज, जेएनएन। चैत्र कृष्णपक्ष में अमावस्या का योग दो दिन बन रहा है। अमावस्या तिथि रविवार सुबह लगकर सोमवार को प्रात:काल तक रहेगी। इससे सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग बनेगा। इसमें भी त्रिग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। इससे सुख-समृद्धि के प्रतीक सोमवती अमावस्या का महत्व बढ़ गया है। पति की दीर्घायु, अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनें व्रत रखकर संगम, गंगा अथवा यमुना के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पीपल के वृक्ष का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि सोमवती अमावस्या पर मीन राशि में बुध, सूर्य व चंद्रमा का संचरण होगा। जबकि शनि अपनी स्वराशि मकर, कुंभ राशि में वृहस्पति तथा वृष राशि में मंगल व राहु संचरण करेंगे। इस योग से शुभ मुहूर्त में स्नान-दान करने से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। व्रती के जीवन में सुख व शांति आएगी।
रविवार को करें श्राद्ध, सोमवार को व्रत-पूजन
आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार अमावस्या तिथि रविवार सुबह 5.32 बजे लगेगा। इस दिन अमावस्या का पूर्ण प्रभाव रहेगा। पितरों के निमित्त श्राद्ध करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। सोमवार को 5.44 बजे सूर्योदय होगा और अमावस्या 6.58 बजे तक है। ऐसे में सूर्योदय पर अमावस्या तिथि रहेगी। उदयातिथि के कारण सोमवार को दिनभर अमावस्या का प्रभाव रहेगा। इससे सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। सोमवार को स्नान, व्रत व दान की अमावस्या रहेगी। सौभाग्य वृद्धि की कामना पूर्ति को पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु को प्रतिष्ठित मानते हुए पूजन करके कच्चा सूत लपेटना चाहिए।
108 बार करें पीपल की परिक्रमा
ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि पीपल भगवान विष्णु स्वरूप हैं। इसी कारण सोमवती अमावस्या पर पीपल की पूजा करने का विधान है। व्रती महिलाओं को पीपल में दूध, पुष्प, अक्षत, चंदन अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। इसके बाद 'नमो भगवते वासुदेवायÓ का मन में जप करते हुए 108 बार परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटकर पूजन करना चाहिए।