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इलाहाबाद में बाढ़ के मोर्चे पर कुछ राहत, चिंता बरकरार

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद: गंगा-यमुना के जलस्तर में गुरुवार को भी कमी दर्ज की गई। हल्की फुल्की बारिश के बाद भी जलस्तर में कमी से कुछ राहत महसूस की गई। हालांकि अब भी बाढ़ का खतरा नहीं टला है। इससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग चिंतित हैं।

By Edited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 04:24 PM (IST)
इलाहाबाद में बाढ़ के मोर्चे पर कुछ राहत, चिंता बरकरार
इलाहाबाद में बाढ़ के मोर्चे पर कुछ राहत, चिंता बरकरार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद: गंगा-यमुना के जलस्तर में गुरुवार को भी कमी दर्ज की गई। हल्की फुल्की बारिश के बाद भी जलस्तर में इजाफा नहीं था। इसके बावजूद कछारी इलाकों में रहने वाले लोग खौफजदा हैं। छोटा बघाड़ा व सलोरी के निवासी पिछले सालों आई बाढ़ से हुई दिक्कत को याद कर रहे हैं। भगवान से यही दुआ की जा रही है। छोटा बघाड़ा में मंगलवार की रात अचानक मुहल्ले के महेंद्र यादव, राम खेलावन समेत कई लोगों के घरों में पानी घुस गया था। एहतियात के तौर पर गोशाला से गाय हटा ली गई। राम प्रकाश, सरजू प्रसाद, राजदेव, सुग्रीव प्रसाद अब भी खौफजदा हैं। कृष्णा नगर में तारकेश्वर साहू, मुन्ना, सुखदेव, राजेश, शिव कुमार ने बताया कि जब गंगा जी बड़े हनुमान जी को नहला देंगी तो इस मोहल्ले के दर्जनों घर डूब जाएंगे। यह पिछले 20 साल का अनुभव है। सलोरी पहुंची के तटवर्ती इलाके में रहने वाले उदय शुक्ला, ब्रह्म प्रकाश शुक्ला के घर के निचले हिस्से में गंगा का पानी टकराता दिखा। प्राचीन शिव मंदिर के पास तट पर सुरेश निषाद, शुभम, नीलू निषाद, पंकज आदि बाढ़ देखने आ रहे लोगों को दूर रहने की हिदायत दे रहे थे। मंदिर के बगल से गुजरी सड़क पर से ही विख्यात दधिकादों मेले की चौकिया गुजरती हैं। इससे गंगा का पानी महज चार-पाच मीटर ही दूर रह गया है। दारागंज के निचले इलाके में बाढ़ का पानी घुस गया है। कई घर डूब गए हैं। बड़े हनुमान जी की चौखट से लौटा इस बार अब तक बंधवा स्थित बड़े हनुमान स्नान नहीं कर पाए हैं। मंगलवार रात ऐसा होने की उम्मीद थी लेकिन यह संयोग नहीं बना। चौखट से ही गंगा जी लौट गईं। जानकारों की मानें तो पहले भी ऐसा कई बार हो हुआ बंधवा हनुमान जी के ड्योढ़ी तक आने के गंगा लौटीं हैं, लेकिन फिर उन्होंने हनुमत लला को स्नान कराया है। इलाहाबाद में खतरे का निशान 84.73 मीटर है। उम्मीद थी कि बुधवार जलस्तर बढ़ने पर खतरे के निशान को छू लेंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दारागंज शमशान घाट डूबा गंगा उफनाने के बाद दारागंज शमशान घाट पूरी तरह से डूब गया है। इसके चलते सड़क पर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। होने से राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। अफसर बेखबर, सड़ाध में सिसकती जिंदगी कछारी बस्तियों में गंगा का पानी घरों के नालों को चोक कर रहा है। बक्शी बाध, ढरहरिया, कैलाशपुरी, गंगा पुरम, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, सलोरी में सड़कों पर कीचड़ ही कीचड़ है। घरों का पानी सड़कों पर आने से यह दशा हुई है। लोगों में गुस्सा इस बात का है कि अफसर उनकी दुर्दशा को देखने नहीं आ रहे हैं। बाढ़ का पानी दारागंज के मुख्य मार्ग पर भरा हुआ है। इसके चलते दारागंज से नागवासुकि मंदिर जाने वाला मार्ग बंद हो गया है। पानी आने से नाव घाट के किनारे लगा दी गई हैं। इक्का-दुक्का लोग ही नाव से भ्रमण कर रहे हैं। दारागंज व रामघाट की सड़कें बाजार में तब्दील हो गई हैं। कौड़िहार ब्लाक में रतजगा लालगोपालगंज प्रतिनिधि के अनुसार गंगा के जलस्तर से कछारी इलाकों में रहने वाले लोगों में दहशत पैदा हो गई है। श्रृंगवेरपुर स्थित मुख्य घाट पर डेढ़ फुट पानी चढ़ गया। गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग किए जाने के बजाय खतरे की एक डोरी खींच दी गई है। सैकड़ों बीघा धान की फसलें डूब गई हैं। एक ओर जहा प्रशासन जल स्तर पर लगातार निगाहें बनाए हुए है। किनारे रहने वाले ग्रामीण रतजगा करने पर मजबूर हैं। गंगा का जल स्तर 24 घटों में डेढ़ फुट बढ़ गया है। उफनाती गंगा को देखकर तटवर्ती ग्रामीण सशकित हैं। कौड़िहार ब्लाक के कछारी इलाकों में अब लोग अपने पशुओं के साथ खुद किसी सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए मजबूर हैं। श्रृंगवेरपुर स्थित मुख्य घाट समेत आसपास के गऊघाट, रामचौराघाट, विद्यार्थी घाट, रामघाट और सीताकुंड जैसे घाट पानी से डूब गए हैं। मुख्य घाट पर बनाए गए शवदाह भी पानी के चपेट में है। कफन दफन के लिए लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मिट्टी में शामिल होने वाले लोग उफनाती गंगा में स्नान करने से खतरा महसूस कर रहे हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन ने किसी भी प्रकार की कोई फिलहाल व्यवस्था नहीं की है। सैकड़ों बीघे फसल डूबी यमुना में बाढ़ के चलते घूरपुर क्षेत्र के तराई इलाके के करीब तीन सौ बीघे से अधिक खेत जलमग्न हो गया हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। गोहनिया प्रतिनिधि के अनुसार सबसे अधिक नुकसान कंजासा, कैनूआ, मोहनीका पूरा, बिरवल, भीटा, बिरवल, आदि गावों के किसानों को हुआ है। यहां बिहार सहित अन्य जनपदों से आकर दर्जनों किसान परवल की बड़े पैमाने पर यमुना की तराई में खेती कर अच्छा मुनाफा कमाते है। उनकी परवल की खेती जलमग्न हो नष्ट हो गई है। लागत तक निकलने के लाले पड़ गए हैं।

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