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समाज सुधारक रामानंद चटर्जी के 'मासूमों की हत्या लेख से मच गया था तहलका, जानिए क्या था पूरा मामला

साहित्यकार रविनंदन बताते हैं कि उस समय स्कूल स्तर पर तीन सरकारी परीक्षाएं देने का चलन था। जल्दी-जल्दी परीक्षाओं से शिक्षा की प्रगति नहीं हो पा रही थी। तब रामानंद के लेख मर्डर आफ इनोसेंटस यानी मासूमों की हत्या लेख से तहलका मच गया था। सरकार ने जांच समिति बनाई।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 09:00 AM (IST)
समाज सुधारक रामानंद चटर्जी के 'मासूमों की हत्या लेख से मच गया था तहलका, जानिए क्या था पूरा मामला
प्रयागराज की धरती ने कई समाज सुधारकों को पहचान दी है। इन्हीं में एक थे रामानंद चटर्जी।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज की धरती ने कई समाज सुधारकों को पहचान दी है। इन्हीं में एक थे रामानंद चटर्जी। वे महान पत्रकारों एवं समाज सुधारकों में एक थे। 19 वीं सदी के अंत में वे इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए थे। कई दृष्टियों से उन्होंने प्रयागराज के सामाजिक और राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया था। उन्होंने शिक्षा सुधारों के लिए एक अभियान छेड़ा था। उस जमाने में स्कूल स्तर पर तीन सरकारी परीक्षाएं देने का चलन था। तब रामानंद के एक लेख 'मासूमों की हत्या लेख से तहलका मच गया था।

कलकत्ता के सिटी कालेज की नौकरी छोड़ प्रयागराज आए थे
साहित्यकार रविनंदन सिंह बताते हैं कि रामानंद चटर्जी का जन्म 29 मई 1865 को पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा कस्बे के पाठकपाड़ा मुहल्ले में हुआ था। 1882 में पिता श्रीनाथ चट्टोपाध्याय के निधन के बाद उनकी शिक्षा में बाधा पड़ी। पर उन्होंने मुसीबतों का सामना करते हुए 1888 में कलकत्ता के सिटी कालेज से बीए आनर्स अंग्रेजी प्रथम श्रेणी में पास किया। उन पर राजा राममोहन राय, केशवचंद्र सेन तथा ईश्वर चंद्र विद्यासागर के विचारों का बहुत अधिक प्रभाव था। उदारतावाद तथा समाज सुधार में उनकी बहुत अधिक दिलचस्पी थी। 1890 से 1895 तक सिटी कालेज में प्राध्यापक रहे। तीस वर्ष की अवस्था में वे सिटी कालेज की नौकरी छोड़कर प्रयागराज आ गए।

कायस्थ पाठशाला के प्रिंसिपल रहे
रविनंदन बताते हैं कि रामानंद चटर्जी कायस्थ पाठशाला के प्रिंसिपल रहे थे। अक्टूबर 1895 में सपरिवार प्रयागराज आने पर उन्होंने कायस्थ पाठशाला को पुनर्गठित किया। सुरेंद्रनाथ देव, धनेश प्रसाद, रामदास गौड़, बालकृष्ण भट्ट तथा गणेश प्रसाद जैसी हस्तियां उस समय कायस्थ पाठशाला में शिक्षक थीं। शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के साथ-साथ वे छात्रों को देश प्रेम और आदर्शवाद की शिक्षा भी देते थे।

शिक्षा संबंधी सुधारों के लिए छेड़ा था अभियान
साहित्यकार रविनंदन बताते हैं कि प्रयागराज में रामानंद चटर्जी ने एंग्लो बंगाली स्कूल के हेड मास्टर नेपाल चंद्र राय तथा पंडित सुंदरलाल के सहयोग से प्रांत में शिक्षा संबंधी सुधारों के लिए अभियान छेड़ा था। उस समय स्कूल स्तर पर तीन सरकारी परीक्षाएं देने का चलन था। जल्दी-जल्दी परीक्षाओं से शिक्षा की प्रगति नहीं हो पा रही थी। तब रामानंद के लेख 'मर्डर आफ इनोसेंटस यानी मासूमों की हत्या लेख से तहलका मच गया था। इसको लेकर सरकार ने जांच समिति बनाई। रामानंद को समिति का सदस्य बनाया गया। सरकार को दो परीक्षाएं तत्काल समाप्त करनी पड़ी।

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