खर्राटे की बीमारी को हल्के में न लें, हृदयाघात का अधिक रहता है खतरा Prayagraj News
यह बात आप भी जानें खर्राटे की बीमारी से हृदयाघात का खतरा अधिक रहता है। पल्मोकॉन-2020 सेमिनार में पहुंचे फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने सलाह दी है।
प्रयागराज, जेएनएन। क्या आप जानते हैं, अगर नहीं जानते हैं तो फिर यह खबर जरूर पढ़ें। जो व्यक्ति सोते समय खर्राटा लेता है तो अब वह सतर्क हो जाए। क्योंकि खर्राटा लेने की बीमारी से हृदयाघात का अधिक खतरा अधिक रहता है। ऐसी बात हम नहीं बल्कि 'पल्मोकॉन-2020' सेमिनार में पहुंचे फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने मेडिकल कॉलेज के प्रो. प्रीतमदास सभागार में कही।
वायु प्रदूषण से अस्थमा व सीओपीडी के मरीजों में होती है दिक्कत
90 फीसद अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों के छोटे वायुमार्ग में रूकावट होती है। इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण है। यह जानकारी चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन, पुणे के निदेशक डॉ. संदीप साल्वी ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में आयोजित पल्मोकॉन-2020 में दी। यहां आयोजित वर्कशॉप में विभिन्न राज्यों से आए फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने अपनी जानकारी साझा की।
खर्राटा बीमारी के मरीजों की विश्व में करोड़ों में है संख्या
नई दिल्ली से आए निद्रा एवं खर्राटा रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय मनचंदा ने कहा कि विश्व भर में इस बीमारी के मरीजों की संख्या करोड़ों में है। इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे हृदयाघात, अनियंत्रित हार्मोन, अनियंत्रित मधुमेह का खतरा अधिक होता है।
विशेषज्ञ ने अत्याधुनिक कंप्यूटरीकृत फेफड़े की जांच के बारे में भी बताया
हैदराबाद के डॉ. मतीनुद्दीन ने अत्याधुनिक कंप्यूटरीकृत फेफड़े की जांच के बारे में विस्तार से समझाया। गुडग़ांव की डॉ. प्रतिभा डोगरा ने निद्रा रोग के कारण व उसके उपचार के बारे में बताया। डॉ. आशीष टंडन ने खर्राटे की जांच को महत्वपूर्ण और फायदेमंद बताया।
इन विशेषज्ञों की उपस्थिति रही
इसके पूर्व वर्कशॉप का शुभारंभ मेडिकल कालेज के पल्मोनरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसके जैन ने किया। पीजीआइ चंडीगढ़ से आए पद्मश्री डॉ. दिगंबर बेहरा ने वक्ताओं को स्मृति चिह्न व शॉल देकर सम्मानित किया। पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तारिक महमूद ने सभी के प्रति आभार जताया संचालन डॉ. गौरव अग्रवाल और डॉ. एडी शुक्ला ने किया।