यह है दिल्ली-हावड़ा रूट का सूबेदारगंज स्टेशन, स्लीपर टूटे और पेंड्राल क्लिप गायब
सूबेदार रेलवे स्टेशन के निकट ट्रैक मेंटेनेंस पर ध्यान कम दिया जा रहा है। जबकि यह स्टेशन व्यस्तम रूट दिल्ली-हावड़ा पर पड़ता है।
प्रयागराज : इलाहाबाद जंक्शन के आस-पास ट्रैक मेंटेनेंस में ढिलाई बरती जा रही है। इससे टै्रक के स्लीपर जगह-जगह टूटे हैं। पेंड्राल क्लिप भी गायब है। कई पेंड्राल क्लिप ढीले हैं। सबसे खराब स्थिति उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय सूबेदारगंज के पास स्थित रेलवे स्टेशन के आस-पास की है। यहां दो किलोमीटर के अंतर्गत कई सीमेंट के स्लीपर टूटे हैं। ट्रैक के पेंड्राल क्लिप भी गायब है।
रेलवे अक्सर यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने का दावा करता है। तकनीक के जरिए ट्रैक की गड़बड़ी पकडऩे की बात भी होती है। हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं नजर आता है। ट्रेन जिस टै्रक (पटरियों) पर दौड़ रही है वही असुरक्षित है। इलाहाबाद का जंक्शन दिल्ली-हावड़ा रूट में आता है। यह देश के सबसे व्यस्ततम ट्रैकों में शामिल है। हर आठ मिनट में टै्रक से एक ट्रेन गुजरती है। जंक्शन से चलकर सूबेदारगंज पहुंचने पर अधिकतर ट्रेनें रफ्तार पकड़ती हैं। वहीं ट्रैक की देखरेख में लापरवाही बरती जा रही है। इससे बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन रेलवे उससे बेफिक्र है।
ट्रेन पलटाने की हो चुकी है साजिश :
ट्रैक पर कई बार स्लीपर व राड रखकर ट्रेन पलटाने की साजिश हो चुकी है। सूबेदारगंज स्टेशन के पास कुछ साल पहले ट्रैक पर स्लीपर रखकर संगम एक्सप्रेस पलटाने की साजिश रची गई। जबकि 25 मई 2015 को सिराथू के पास मूरी एक्सप्रेस पलटने के ठीक दो दिन पहले जैक मिला था।
सूबेदारगंज के आस-पास की स्थिति :
सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन के एक किलोमीटर आगे और एक किलोमीटर पीछे ट्रैक की स्थिति ज्यादा खराब है। टै्रक को कसने वाली पेंड्राल क्लिप कई जगह पर एक साथ गायब हैं, जिससे ट्रेन चलते समय पटरियां हिलती हैं। इससे ट्रेन के पलटने का खतरा हर समय बना रहता है।
-टूटे स्लीपर : 10
-टूटी पेंड्राल क्लिप : 56
-ढीली पेंड्राल क्लिप : 243
-गायब पेंड्राल क्लिप : 62
24 घंटे में इस स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनें :
-राजधानी : 12
-मेल व एक्सप्रेस : 126
-मालगाड़ी : 80
नोट : ट्रेनों की संख्या अप और डाउन मिलाकर है।
ट्रैक मेंटेनेंस में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जा रही है। सारे ट्रैक दुरुस्त हैं। जो दिक्कत आती है उसे तत्काल ठीक कराया जाता है।
-सुनील गुप्त, जनसंपर्क अधिकारी इलाहाबाद मंडल रेलवे