इलाहाबाद में दिमागी बुखार ने 15 दिनों में ली छह बच्चों की जान
सरकारी व निजी अस्पतालों में आने वाले बच्चे मेनिन्जाइटिस बुखार से पीड़ित हैं जिनमें शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र के भी हैं।
इलाहाबाद (जागरण संवाददाता)। उमस भरी गर्मी में मेनिन्जाइटिस अर्थात दिमागी बुखार तेजी से फैल रहा है। बैक्टीरिया जनित बीमारी अत्यंत सूक्ष्म जीवों से फैलती है। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों और बुजुर्गों को हो रही है। इससे सिर में तेज दर्द व बुखार हो जाता है।
सरकारी व निजी अस्पतालों में आने वाले बच्चे मेनिन्जाइटिस बुखार से पीड़ित हैं। जिनमें शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र के भी हैं। गंभीर अवस्था में कई बच्चों को भर्ती किया गया। बेड कम पड़ने से एक में दो को लिटाकर इलाज किया जा रहा है। सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय में बीते तीन दिनों में दिमागी बुखार से पीड़ित 12 बच्चें भर्ती हुए हैं जिसमें अधिकतर की स्थिति गंभीर है। कुछ को चिकित्सकों ने वेंटीलेटर पर रखा हुआ है।
15 दिन में छह मौत: दिमागी बुखार के चलते 15 दिनों में छह बच्चों की जान जा चुकी है। इसमें राकेश (3), इमरान (4), समीर (2), जावेद (4), बृजेश (1), मोंटू (3), सोनू (3) की इलाज के दौरान मौत हुई है। मृतकों में अधिकतर बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जिन्हें समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाया।
खान-पान पर दें ध्यान: सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश चंद्रा का कहना है कि खानपान ठीक न होने, किसी बीमारी से कमजोरी, कम वजन वाले एवं कुपोषित बच्चों में दिमागी बुखार तेजी से फैलता है। बच्चों में यह बीमारी फेफड़े और ब्लड से होते हुए शरीर के विभिन्न अंगों खासकर सीधे दिमाग में फैलती है।
होता है डिहाइड्रेशन व बुखार: डॉ. अर्पणधर दुबे बताते हैं कि गर्मी में बच्चों में डिहाइड्रेशन व बुखार आदि की समस्या बढ़ जाती है, जिससे वह कमजोर हो जाते हैं। बच्चों को मच्छरों से बचाना चाहिए। दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे में मंदबुद्धि, बहरा-अंधा होने अथवा अन्य अंगों से कमजोर होने का खतरा रहता है।
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यह एहतियात बरतें:
- पैदा होने के एक साल के अंदर बच्चे को बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं। इससे गुर्दे दिमाग एवं पेट की टीबी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
- टीका लगवाने के कुछ दिनों बाद यदि बांह में निशान न दिखाई दे तो दोबारा टीका लगवाएं।
- 20 दिन से अधिक दिनों से आ रहा बुखार ठीक न हो रहा हो तो विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- उचित पोषाहार दें और टीबी के मरीज से बच्चे को दूर रखें।
- बच्चे को बोतल से दूध न पिलाएं। साथ ही मच्छरों से बचाएं।