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प्रतापगढ़ में जल्द ही बदल जाएगी 50 गांवों की सूरत, जानिए क्यों

ऐसे में प्रधान रह चुके या लड़ने का मन बनाए लोग निराश हुए हैं। इसका असर गांव के लोगों पर भी पड़ेगा क्योंकि वह प्रधान से जो काम करा लेते थे वह काम सदस्य स्तर से करा पाना आसान न होगा।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 05:18 PM (IST)
प्रतापगढ़ में जल्द ही बदल जाएगी 50 गांवों की सूरत, जानिए क्यों
जो गांव टाउन एरिया में चले गए हैं, अब वहां वार्ड के सदस्य का चुनाव होगा।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जनपद आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव होने हैं। इसमें पचास गांवों की भौगोलिक व प्रशासनिक सूरत तेजी से बदल जाएगी। वजह कोई खास नहीं बल्कि यह है कि इन गांवों को नगर निकाय सीमा में शामिल कर लिया गया है। इनमें अब प्रधान के चुनाव नहीं कराए जाएंगे। उनको अध्यक्ष टाउन एरिया व सदस्य का साथ मिलेगा। ऐसे में जो गांव टाउन एरिया में चले गए हैं, अब वहां वार्ड के सदस्य का चुनाव होगा।

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प्रधान बनने का ख्वाब रह जाएगा अधूरा

वार्ड के सदस्य की राजनीतिक हनक वह नहीं होती जो प्रधान की होती है। ऐसे में प्रधान रह चुके या लड़ने का मन बनाए लोग निराश हुए हैं। इसका असर गांव के लोगों पर भी पड़ेगा, क्योंकि वह प्रधान से जो काम करा लेते थे, वह काम सदस्य स्तर से करा पाना आसान न होगा। चुनाव की तैयारी को अब पंख लग रहे हैं। पंच स्थानीय चुनाव कार्यालय से राज्य निर्वाचन आयोग लगातार अपडेट ले रहा है। इस बार जिले के 48 गांवों के लोग प्रधान नहीं चुन पाएंगे, क्योंकि उनका गांव नव गठित नगर पंचायतों का हिस्सा हो का है। पंचायत चुनाव 2015 में 1255 गांवों में कराया गया था। इन सीटों पर प्रधान चुने गए थे।

दो साल में हुए कई बदलाव

इधर दो साल में कई बदलाव हुए। नगर पालिका का सीमा विस्तार हो गया। गायघाट के आगे से लेकर कादीपुर और पूरे ईश्वरनाथ तक के गांवों को पालिका में जोड़ लिया गया। इसके बाद नगर पंचायतों का गठन किया गया। कोहंड़ौर नगर पंचायत में सदर व पट्टी तहसील के गांव जुड़े। सुवंसा नगर पंचायत बनी, जिसमें दर्जन भर गांव वार्ड की शक्ल ले लिए। पिरथीगंज टाउन एरिया में सदर तहसील व रानीगंज तहसील के गांवों को शामिल किया गया। अपर जिला निर्वाचन अधिकारी शत्रोहन वैश्य का कहना है कि जो गांव नगर में आ गए हैं उनको विधिक रूप से शामिल करने की अधिसूचना शीघ्र जारी होने वाली है। भले ही ऐसे गांव का नाम व पहचान कुछ बदलेगी, पर विकास में उनकी उपेक्षा नहीं होने पाएगी।


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