सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बीमार बच्चे व तीमारदार गर्मी से तड़प रहे Prayagraj News
सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बीमारी से पीडि़त बच्चों को लेकर आने वाले तीमारदारों की फजीहत है। भीषण गर्मी में बीमार बच्चे व अभिभावक परेशान होते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। लाख कवायद के बाद भी सरकारी अस्पतालों में सुधार नहीं हो रहा है। इस बात को प्रमाणित करता है हाल में आई नीति आयोग की हेल्थ रिपोर्ट। इस रिपोर्ट में यूपी सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। इसमें सुधार के लिए बड़ी पहल की जरूरत है। प्रयागराज की स्वास्थ्य व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है, यह स्थिति तब है जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री का यह गृह जनपद है। सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की हकीकत इसे बयां कर रही है। यहां अधीक्षक समेत अन्य साहब एसी आफिस में अक्सर बैठे रहते हैं वहीं बीमार बच्चे व तीमारदार गर्मी से तड़पते रहते हैं।
छोटे बच्चों को लेकर परेशान रहते हैं अस्पताल आने वाले अभिभावक
अभिभावक छोटे बच्चों को लेकर अस्पताल इलाज कराने आते हैं। कोई बच्चा बुखार से तो कोई उल्टी आदि से पीडि़त रहता है। डॉक्टर ब्लड जांच के लिए लिख देते हैं। अब समस्या यह आती है कि ब्लड कौन निकालेगा और कहां जमा होगा। इसके लिए तीमारदार बच्चों को लेकर इधर-उधर भटकते रहते हैं। ब्लड कलेक्शन सेंटर पर कर्मचारी अक्सर नहीं नजर आते हैं।
फुल है इमरजेंसी व पीआइसीयू वार्ड
सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड-3 की स्थिति बहुत खराब है। यहां 10 बेड हैं। एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती किया गया है। दर्जनों की संख्या में लोग अपने बच्चे को उसमें भर्ती कराने के लिए वेटिंग में हैं। एसी तो लगे हैैं लेकिन चलते नहीं। एक एसी की स्थिति ऐसी है कि उसका कवर लगा है, लेकिन पीछे एसी गायब है। एनआइसीयू वार्ड भी फुल है। मरीजों को लौटाया जा रहा है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट के लिए शुल्क तो लिया जाता है लेकिन रसीद नहीं दी जाती।
बोले अस्पताल के अधीक्षक
सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. मुकेश वीर कहते हैं कि कुछ एसी खराब हैं वह बनने के लिए भेजे गए हंै। मैंने 14 जून को ही यहां ज्वाइन किया है। मरीजों को जो असुविधा होती है, उसका समाधान करने का प्रयास कर रहा हूं।