जिन शटल बसों ने कुंभ मेला-2019 में बनाया था गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, अब देने लगीं जवाब Prayagraj News
अभी कुंभ मेला-2019 बीते एक साल भी नहीं हुआ है। वहीं प्रयागराज कुंभ में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड कायम करने वाली यह शटल बसें जवाब देने लगी हैं। इनमें खराबी आने लगी है।
प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। प्रयागराज में कुंभ मेला-2019 के समापन के बाद सभी 500 शटल बसों को एक साथ चलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने मान्यता दी थी। प्रदेश सरकार के नाम वर्ल्ड रिकार्ड बनवाने वाली यही बसें अब बीमार हो चली हैं।
रोडवेज को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है
कुंभ के लिए खरीदी गईं रोडवेज की बसें साल भर के भीतर ही जवाब देने लगी हैैं। करीब 500 शटल बसों की कुंभ में सेवा लेने के बाद इन्हें उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय लखनऊ के निर्देश पर जरूरत के हिसाब से सूबे के अन्य जिलों में भी भेज दिया गया। अधिकांश जिलों में इन बसों में आए दिन खराबी आ रही है। इसमें बड़ी मुसीबत यह है कि इनकी नियमित मरम्मत नहीं हो पा रही है। रोडवेज को इससे बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कुंभ में 500 नई शटल बसें खरीदी गई थीं
जनवरी 2019 में प्रयागराज में लगे 'दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ' के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर प्रदेश में 500 नई शटल बसें खरीदी गई थीं। इन बसों ने करोड़ों श्रद्धालुओं को संगम स्नान में यातायात की सुविधा दी। चार मार्च को कुंभ के समापन के बाद बसें विभिन्न जिलों में भेज दी गईं जबकि 40 बसें प्रयागराज परिक्षेत्र में संचालित हो रही हैं। करीब तीन माह पहले से इन बसों में खराबी आनी शुरू हो गई। बसों में कहीं वायङ्क्षरग खराब हो रही है, कहीं इंजन, गियर बक्से, क्लच प्लेट और कहीं ओवरहीट की समस्या आ रही है। कॉमन रील कोड, इंजन के सेंसर में भी खराबी बताई जा रही हैै। समस्या बसों में खराबी की ही नहीं, इनकी समय से मरम्मत न होने की भी है।
ऐसे प्रशिक्षित तकनीशियन और मैकेनिक नहीं हैं, जो बसों को ठीक कर सकें
दरअसल ये बसें काफी उच्च तकनीक की हैं और रोडवेज की कार्यशालाओं में ऐसे प्रशिक्षित तकनीशियन और मैकेनिक नहीं हैं, जो इन्हें ठीक कर सकें। यही समस्या बसों की चेसिस रोडवेज को बेचने वाली कंपनी टाटा मोटर्स की विभिन्न जिलों में कार्यशालाओं में भी सामने आ रही है। ऐसे में बसें एक बार खराब होने पर कई-कई दिन खड़ी रह जा रही हैं। कहीं मरम्मत के लिए हजारों रुपये नकद भुगतान मांगा जा रहा है तो कहीं रोडवेज के एआरएम बसें सड़क पर न चल पाने से लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान बता रहे हैं। इसकी सूचनाएं नियमित रूप से मुख्यालय और टाटा मोटर्स को अधिकारियों की ओर से भेजी जा रही हैं।
प्रयागराज परिक्षेत्र के आरएम टीकेएस बिसेन ने कहा
प्रयागराज परिक्षेत्र के आरएम टीकेएस बिसेन का कहना है कि बसें खराब हो रही हैं। इनकी मरम्मत के लिए कार्यशाला में उच्च तकनीक के प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी नहीं हैं। टाटा मोटर्स से वार्षिक मरम्मत करार (एएमसी) किया गया है लेकिन, उनकी कार्यशालाओं में भी इन बसों के हिसाब से प्रशिक्षित कर्मचारी कम हैं। बड़े इंजीनियर आते हैं तब बसें किसी तरह बन पाती हैं।