Shivkumar Sharma Memory: प्रख्यात संतूर वादक के समक्ष झेंप गए थे प्रयागराज के तत्कालीन मंडलायुक्त
Shivkumar Sharma Memory बात 2008 की है प्रयागराज के त्रिवेणी महोत्सव में पंडित शिवकुमार शर्मा मंच पर संतूर वादन कर रहे थे। वीआइपी दीर्घा में बैठे तत्कालीन मंडलायुक्त व अन्य प्रशासनिक अफसरों को चाय दी गई। यह देख उन्होंने संतूर वादन बीच में रोक दिया कहा पहले चाय पी लीजिए।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। विश्व विख्यात संतूर वादक पं. शिवकुमार शर्मा अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादें ताे हैं ही। प्रयागराज से उनका गहरा लगाव था। सुविख्यात संतूर वादक को संगमनगरी ने जब-जब बुलाया तो दौड़े चले आते थे। कहते थे, प्रयाग की माटी में है सोंधी महक, अब उनकी यादें ही शेष हैं। यहां आपको प्रयागराज का एक ऐसा प्रसंग बताते हैं, जिससे तत्कालीन मंडलायुक्त उनके समक्ष झेंप गए थे।
प्रयागराज में त्रिवेणी महोत्सव का रोचक प्रसंग : पंडित शिवकुमार शर्मा की संगीत के प्रति साधना, समर्पण और इसके आगे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को नतमस्तक होते प्रयागराज वासियों ने भी देखा है। बात 2008 की है जब शहर के बोट क्लब पर त्रिवेणी महोत्सव में पंडित शिवकुमार शर्मा मंच पर संतूर वादन की प्रस्तुति दे रहे थे। ठीक उसी समय वीआइपी दीर्घा में बैठे तत्कालीन मंडलायुक्त व अन्य प्रशासनिक अफसरों के लिए चाय परोस दी गई। यह देख उन्होंने संतूर वादन बीच में रोक दिया, कहा कि पहले चाय पी लीजिए। इससे मंडलायुक्त झेंप गए और उन्होंने चाय वापस करा दी थी।
प्रयागराज से गहरा लगाव था : न कोई बहुत शिष्य थे न यहां परिवार का कोई सदस्य, फिर भी पं. शिवकुमार का संगमनगरी से गहरा लगाव था। देश की नामचीन सांस्कृतिक संस्था स्पिक मैके की उप्र की कोआर्डिनेटर व अखिल भारतीय प्रयाग संगीत समिति में संगीत शास्त्र की शिक्षिका मधु शुक्ला बताती हैं कि उनके आमंत्रण पर पं. शिवकुमार शर्मा 2006 में सरस्वती घाट पर, 2008 में बोट क्लब तथा 30 मार्च 2014 को मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कालेज में संगीत समारोह में आए थे। वह संगीत के परम साधक थे। कहते थे कि प्रयागराज की सोंधी माटी उन्हें खींच लाती है। 27 दिसंबर 2006 को सरस्वती घाट पर संतूर वादन की प्रस्तुति देने आए थे। तब उप्र सरकार की तरफ से सांस्कृतिक आयोजन की श्रृंखला 'विरासत' का समापन था। पं. शिवकुमार शर्मा उस कार्यक्रम स्कूली बच्चों से भी प्रेमपूर्वक रूबरू हुए थे।
कुंभ 2019 में आने की थी इच्छा : मधु शुक्ला बताती हैं कि पं. शिवकुमार शर्मा की इच्छा 2019 कुंभ में आने की थी। 25 फरवरी को उन्हें आना था। उससे पहले 12 फरवरी को बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के साथ पंडित शिवकुमार शर्मा का परिवार भी संगमनगरी आया था। कहीं भीड़ में यह लोग काफी देर तक फंसे रह गए। यह बात जब पंडित शिवकुमार शर्मा को पता चली तो उन्होंने अपने आगमन का कार्यक्रम ही स्थगित कर दिया।