उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किए जाएंगे किन्नर, प्रवेश के लिए आवेदन फार्म में बनेगा अलग कॉलम
सामाजिक उपेक्षा से आजिज आकर पढ़ाई छोड़ने वाले किन्नरों के लिए राहत भरी खबर है। अब वे भी बिना किसी भेदभाव के उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।
प्रयागराज [शरद द्विवेदी]। सामाजिक उपेक्षा से आजिज आकर पढ़ाई छोड़ने वाले किन्नरों के लिए राहत भरी खबर है। अब वे भी बिना किसी भेदभाव के उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपनी पहचान नहीं छिपानी पड़ेगी। किन्नरों की कुंठा और उनके साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय ने आवेदन पत्रों में ट्रांसजेंडर का कॉलम बनाने का निर्देश दिया है।
किन्नर अभी भी खुद को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संघर्षरत हैं। पुरुष व महिला की तरह उन्हें अभी तक सम्मान, अधिकार नहीं मिला। इससे अधिकतर किन्नर अशिक्षित हैं। किन्नर अखाड़ा की प्रयागराज पीठाधीश्वर टीना मां बताती हैं कि मौजूदा समय उत्तर प्रदेश में पांच हजार से अधिक किन्नर हैं, लेकिन 2200 के लगभग ही 10वीं व 12वीं तक पढ़े हैं, जबकि उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या बहुत कम है। उम्र के साथ किन्नरों से भेदभाव बढ़ता है। इसके चलते चाहकर भी किन्नर स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई नहीं करते। उच्च शिक्षा निदेशालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकार का संरक्षण) बिल -2019 को जमीनीस्तर पर लागू कराने की पहल की है।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा ने उत्तर प्रदेश के समस्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों, राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिवों, राजकीय, एडेड व स्ववित्तपोषित डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिया है कि वह प्रवेश के लिए आवेदन पत्रों व अन्य प्रपत्रों में महिला, पुरुष के साथ ट्रांसजेंडर का कॉलम बनाएं। जो किन्नर हों उन्हें कक्षा में सम्मान दिया जाए, उनकी दिक्कतों को सुनने के साथ पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाए। किन्नर खेलकूद, रचनात्मक व मनोरंजक गतिविधियों का हिस्सा बनें।
परेशान करने पर होगी कार्रवाई
अगर कोई छात्र या छात्रा किन्नरों के साथ भेदभाव करेगा, उन्हें ताना मारेगा तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी और संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति व डिग्री कॉलेज के प्राचार्य को नोटिस देकर उच्च शिक्षा निदेशालय जवाब मांगेगा।
शौचालय का प्रबंध भी अलग से किया जाए
किन्नर अखाड़ा पीठाधीश्वर टीना मां ने कहा कि आवेदन पत्र में किन्नरों के लिए अलग कॉलम बनाना सराहनीय कार्य है। इसके साथ किन्नरों के लिए अलग से शौचालय का प्रबंध भी किया जाए। उन्हें हर गतिविधि में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाय। उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. वंदना शर्मा ने कहा कि किन्नर हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं। वह बिना किसी भेदभाव के उच्च शिक्षा ग्रहण करें उसके लिए हरस्तर पर प्रयास किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि इस बदलाव से किन्नर उच्च शिक्षा ग्रहण करने को आगे आएंगे।