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अपना खेत पाने के लिए प्रयागराज के किसान शारदा ने शुरू कर दी वकालत की पढ़ाई, सबसे पहले लड़ेंगे अपना मुकदमा

अमूमन किसान जमीन से जुड़े मुकदमे बजरिए अधिवक्ता लड़ते हैैं ऐसे में खुद वकील बनकर मुकदमा लड़ने का इरादा रखने वाले शारदा (29) का जज्बा दिलचस्प हो जाता है। विधि स्नातक की पढ़ाई का उनका आखिरी साल है। बार काउंसिल से रजिस्ट्रेशन के बाद सबसे पहले अपना मुकदमा खुद लड़ेंगे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 06:59 PM (IST)
अपना खेत पाने के लिए प्रयागराज के किसान शारदा ने शुरू कर दी वकालत की पढ़ाई, सबसे पहले लड़ेंगे अपना मुकदमा
शारदा ने कई बार अफसरों से न्याय की फरियाद लगाई लेकिन लेखपालों का गुट भारी पड़ा।

प्रयागराज, प्रमोद यादव। मुकदमों का खर्च कम नहीं होता। जनकवि स्व. कैलाश गौतम की चर्चित रचना है मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना...। इसमें कोर्ट कचहरी में होने वाली जद्दोजहद का बखूबी वर्णन है। अमूमन किसान जमीन से जुड़े मुकदमे बजरिए अधिवक्ता लड़ते हैैं, ऐसे में खुद वकील बनकर मुकदमा लडऩे का इरादा रखने वाले शारदा (29) का जज्बा दिलचस्प हो जाता है। विधि स्नातक की पढ़ाई का उनका आखिरी साल है। डिग्री मिलते ही वह बार काउंसिल से रजिस्ट्रेशन के बाद सबसे पहले अपना मुकदमा खुद लड़ेंगे।

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बिना रजिस्ट्री जमीन दूसरे के नाम कर दी तहसील प्रशासन ने 

शहर से लगे झूंसी के निकट उस्तापुर महमूदाबाद गांव में साढ़े छह बीघा जमीन शारदा की है। उनका घर नीबीं कला गांव में है। पिता बरमदीन का निधन 1995 में हुआ तब शारदा तीन साल के थे। पहले उनके घर के अन्य सदस्य खेती करते रहे जब शारदा व्यस्क हुए तो खुद खेती करने लगे। जब 2013 में 21 साल के हुए तो जमीन का रिकार्ड देखने तहसील गए। वहां यह पता चलने पर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई कि उनकी साढ़े छह बीघा जमीन 2011 में भदकार गांव निवासी बसंत लाल के नाम कर दी गई है। उसने इसे बेचा ही नहीं था। शारदा ने राजस्व रिकार्ड निकलवाया तो पता चला कि बसंतलाल ने उस्तापुर महमूदाबाद में खसरा नंबर 1128 और 1129 की जमीन दुर्वासा और लक्ष्मीकांत से रजिस्ट्री कराई। साथ सड़क किनारे वाली उसकी जमीन (खसरा नंबर 1131, 1132, 1133, 1134 और 1056 कुल रकबा साढ़े छह बीघा) लेखपाल व तहसीलदार से मिलकर अपने नाम दाखिल खारिज करवा ली।  

राजस्व रिकार्ड दुरुस्त कराने के लिए आठ साल से चक्कर लगा रहा  

शारदा ने कई बार अफसरों से न्याय की फरियाद लगाई लेकिन लेखपालों के काकस भारी पड़ा।  रिकार्ड आज तक दुरुस्त नहीं किया गया। आठ साल से जिस जमीन के लिए शारदा ऐडियां रगड़ रहा है, इसकी कीमत करोड़ों रुपये कीमती है। संघर्ष लंबा देख एमए की उपाधि ले चुके शारदा प्रसाद ने एलएलबी की पढ़ाई शुरू कर दी। नेहरू ग्राम भारती मानद विश्वविद्यालय से इस साल एलएलबी का अंतिम वर्ष है। उनका कहना है कि दस्तावेज तहसील प्रशासन ने दुरुस्त नहीं किया तो वह अगले साल से अपना मुकदमा खुद लड़ेंगे। दो दिन पहले फिर उन्होंने एसडीएम से फरियाद लगाई है। उनका आरोप है कि बसंतलाल ने उनकी ढाई बीघे पर कब्जा भी कर लिया है और प्रशासन कब्जा नहीं हटवा पा रहा है।

'मामला कई साल पुराना है। शिकायत मिली है। इस बात की जांच करवाई जाएगी कि किस स्तर से गड़बड़ी हुई। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऐसी गड़बड़ी की है, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी और पीडि़त को भी न्याय दिलाया जाएगा।

युवराज सिंह, एसडीएम, फूलपुर, प्रयागराज 


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