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शनि अमावस्या कल, सूर्यग्रहण होगा लेकिन अपने देश में नहीं रहेगा सूतक का प्रभाव

सूर्यग्रहण चार दिसंबर शनिवार को लगने वाला है लेकिन भारत में इसका प्रभाव नहीं होगा। सूर्यग्रहण के भारत में न दिखने के कारण उसके सूतक का प्रभाव भी नहीं रहेगा। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के अनुसार अमावस्या तिथि शुक्रवार की शाम 4.07 बजे लगकर शनिवार दोपहर 1.48 बजे तक रहेगी

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 06:16 PM (IST)
शनि अमावस्या कल, सूर्यग्रहण होगा लेकिन अपने देश में नहीं रहेगा सूतक का प्रभाव
वर्ष 2021 का आखिरी सूर्यग्रहण चार दिसंबर शनिवार को लगने वाला है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। वर्ष 2021 का आखिरी सूर्यग्रहण चार दिसंबर शनिवार को लगने वाला है, लेकिन भारत में इसका प्रभाव नहीं होगा। सूर्यग्रहण के भारत में न दिखने के कारण उसके सूतक का प्रभाव भी नहीं रहेगा। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के अनुसार अमावस्या तिथि शुक्रवार की शाम 4.07 बजे लगकर शनिवार की दोपहर 1.48 बजे तक रहेगी। वहीं, सूर्यग्रहण शनिवार को दिन में 11 बजे आरंभ होगा। इसका मध्य 1.03 बजे और समापन 3.07 बजे होगा। ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका में दिखेगा।

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सूर्य ग्रहण का महत्व

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का संयोग बन रहा है। सूर्यग्रहण अमावस्या तिथि पर वृश्चिक राशि व अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। जहां ग्रहण दिखता है उसके लगने से 12 घंटे पहले सूरक काल लग जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूतक काल का समय अशुभ माना गया है। इसी कारण सूतक काल में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। सिर्फ आराध्य का स्मरण करना चाहिए, लेकिन चार दिसंबर को सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए सूतक नहीं लगेगा।

इसका रखें ध्यान

-सूतक काल में भोजन नहीं पकाना चाहिए, न ही खाना चाहिए।

-सूतक में किसी भी आराध्य का स्मरण करना चाहिए। मंदिर में दर्शन-पूजन नहीं करना चाहिए।

-तुलसी की पत्ती को नहीं छूना चाहिए।

-सूतक लगने से पहले खाने-पीने की सामग्रियों में तुलसी की पत्ती डालना चाहिए।

-सूतक काल में घर से बाहर नहीं जाना चाहिए न ही सोना चाहिए।

-गर्भवती महिलाओं क इधर-उधर घूमना वर्जित है।

-सूतक काल में चाकू और सुई का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पर्यावरण की संवेदनशीलता ही समझना आने वाली पीढ़ियों को दिशा देगी 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में पर्यावरण संपोषणीय और भू-आकृति विज्ञान विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। मुख्य अतिथि के विश्व आकृतिक वैज्ञानिक संघ के अध्यक्ष प्रो. मावरो सोल ने भू दृश्य और पर्यावरण संपोषणीयता चुनौतियों से दुनिया भर के वैज्ञानिकों को पर्यावरण की संवेदनशीलता पर गहन अध्ययन करने का आह्वान किया। कहा कि पर्यावरण की संवेदनशीलता ही समझना आने वाली पीढ़ियों की दिशा देगी। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने पर्यावरण की चुनौतियों और सतत विकास की बात की। उन्होंने कहा पूरा विश्व जलवायु की चरम घटनाओं के प्रभाव की समस्याओं से प्रभावित है। इस दौरान भू-आकृतिक वैज्ञानिक संघ के उपाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार डे, भारतीय प्राकृतिक संघ के अध्यक्ष प्रो. डीडी चौनिआल, भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. एआर सिद्दीकी, प्रो. अनुपम पांडेय, डा. अश्वजीत चौधरी आदि उपस्थित रहे।


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