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गांधी परिवार से जुड़े स्वराज भवन में घोर अनियमितता, बच्चियों को दूसरी जगह रखने का आदेश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को तत्काल अनाथालय में रह रही बच्चियों को जिला बाल कल्याण समिति के सामने पेश करने का निर्देश दिया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 07:31 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 08:19 PM (IST)
गांधी परिवार से जुड़े स्वराज भवन में घोर अनियमितता, बच्चियों को दूसरी जगह रखने का आदेश
गांधी परिवार से जुड़े स्वराज भवन में घोर अनियमितता, बच्चियों को दूसरी जगह रखने का आदेश

नीलू रंजन, नई दिल्ली। गांधी परिवार से जुड़े प्रयागराज स्थित स्वराज भवन में चल रहे अनाथालय में घोर अनियमितता सामने आई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को तत्काल अनाथालय में रह रही बच्चियों को जिला बाल कल्याण समिति के सामने पेश करने का निर्देश दिया है। 'चिल्ड्रेन नेशनल इंस्टीट्यूट' नामक इस अनाथालय का गठन 1947 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।

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नौ जनवरी को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस अनाथालय का दौरा किया। दौरे के बाद कानूनगो ने ट्वीट कर बताया कि 'स्वराज भवन स्थित 'चिल्ड्रेन नेशनल इंस्टीट्यूट का निरीक्षण किया, जिसमें किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा नियम 2016 का गंभीर उल्लंघन, संचालन में लापरवाही व अनियमितता संज्ञान में आयी हैं।' ट्वीट में कानूनगो ने चार तस्वीरें भी लगाई हैं, जिनमें साफ देखा जा सकता है कि अनाथालय के बाथरूम में दरवाजे तक नहीं हैं। जबकि यहां पांच से 17 साल तक की 29 लड़कियां रहती हैं।

अनाथालय के बाथरूम में दरवाजे तक नहीं

आयोग ने 15 जनवरी को प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को अनाथालय के बाथरूम में तत्काल दरवाजा लगाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कहा कि जबतक बाथरूम दरवाजे नहीं लग जाते हैं, तबतक बच्चियों को यहां से बाहर दूसरे स्थान पर रहने का बंदोबस्त किया जाए। इसके साथ ही आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट को इन बच्चियों को जिला बाल समिति के सामने पेश कर निर्देश के अनुपालन की रिपोर्ट भी मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ऑडिट का आदेश

दरअसल अनाथालयों में बड़ी पैमाने पर अनियमितता के आरोपों पर सुनवाई करते हुए 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी छह हजार अनाथालयों के ऑडिट का आदेश दिया था। इसी आदेश के तहत लखनऊ स्थित मेसर्स एएमएस ने स्वराज भवन स्थित अनाथालय का भी आडिट किया। तीन महीने पहले एमसीपीसीआर को सौंपे ऑडिट रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई। इसके अनुसार इस अनाथालय में बच्चियों को लाने के पहले बाल कल्याण समिति के सामने पेश नहीं किया गया था, जो अनिवार्य है। इसके साथ ही इन बच्चियों से जुड़े रिकार्ड भी वहां नहीं मिले। बाथरूम में दरवाजे नहीं होने के अलावा भी बच्चियों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था खराब पाई गई। 29 बच्चियों की देखभाल के लिए केवल तीन लोग रखे गए थे, जबकि नियम के मुताबिक 10 लोगों को रखा जाना चाहिए था।

जवाहरलाल नेहरु ने की थी स्थापना

1947 में बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में अनाथ बच्चों के आने की आशंका को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस अनाथालय की स्थापना की थी। लेकिन पिछले 73 सालों में यहां रहने वाली बच्चियों का कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट की अनुपालन रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।


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