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नई सुबह होने को आई फिर स्कूल खुले हैं..

लंबे अंतराल के बाद स्कूल पहुंचे विद्यार्थी शिक्षकों और अपने साथियों से मिलकर चहक उठे। उनके पास कहने के लिए क्या कुछ नहीं था। हर कोई कुछ ही पल में ढेरों बातें कर लेना चाहता था। विवशता भी थी कि वे गले नहीं मिल सकते थे। बस दूर से ही कैसे हो और दूसरे साथी आए क्या जैसे प्रश्न एक दूसरे से कर रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:09 AM (IST)
नई सुबह होने को आई फिर स्कूल खुले हैं..
नई सुबह होने को आई फिर स्कूल खुले हैं..

अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज : लंबे अंतराल के बाद स्कूल पहुंचे विद्यार्थी शिक्षकों और अपने साथियों से मिलकर चहक उठे। उनके पास कहने के लिए क्या कुछ नहीं था। हर कोई कुछ ही पल में ढेरों बातें कर लेना चाहता था। विवशता भी थी कि वे गले नहीं मिल सकते थे। बस दूर से ही कैसे हो और दूसरे साथी आए क्या जैसे प्रश्न एक दूसरे से कर रहे थे।

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शिक्षकों को भी देखकर उनकी बाछें खिल उठीं। इसी बीच प्रार्थना के लिए संदेश प्रसारित हुआ। सभी अपनी कक्षाओं में चले गए और प्रार्थना स्थल पर कुछ आचार्य व विद्यार्थी ही रहे। सरस्वती वंदना के बाद संगीताचार्य मनोज गुप्त ने युवा कवि श्लेष गौतम के गीत नई सुबह होने को आई फिर स्कूल खुले हैं, हंसी खुशी के रंग बरसे हैं, अक्षर फूल खिले हैं..। प्रस्तुत किया। उसे सुनकर विद्यार्थी उत्साह से भर उठे। इसी क्रम में शांतिपाठ भी हुआ। इसके बाद समय सारिणी के अनुसार कक्षाएं चलीं। साथियों के साथ टिफिन करना और मध्यांतर में खेलना बहुत याद आया

प्रयागराज : लॉकडाउन में घर पर ही रहे। मम्मी, पापा और भाई बहनों के साथ खूल मस्ती की लेकिन स्कूल के दोस्तों को खूब मिस किया। खासकर साथ बैठकर टिफन करना और मध्यांतर में खेलना बहुत याद आया। यह कहना है रानी रेवती देवी देवी सरस्वती विद्या मंदिर कक्षा 11 की छात्रा जाह्नवी का। उन्होंने बताया कि स्कूल में सुबह जल्दी इसलिए आते थे कि दोस्तों के साथ ढेर सारी बातें होंगी और खेलेंगे भी। माही गुप्ता ने बताया कि रक्षा बंधन के बाद स्कूल की बहुत याद आई। हर साल स्कूल में त्यौहार मनाते थे और घर पर मिले गिफ्ट की चर्चा करते थे। अंकिता यादव ने बताया कि मैंने क्या पढ़ा और दूसरों ने क्या और कितना पढ़ा इस बात की चर्चा फोन पर करने में मजा नहीं आता। लॉकडाउन में सीखा घड़ी बनाना

प्रयागराज : 23 मार्च से ही स्कूल बंद हो गए। घर पर रहकर पढ़ाई के साथ ही अपने तकनीकी कौशल को बढ़ाने का प्रयास एबीआइसी के 12वीं के छात्र आकाश श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने बताया कि पिता की घड़ी बनाने की दुकान है। उसी में समय देने लगे और धीरे धीरे सभी तरह की घड़ियों को बनाना सीख लिया। अब नियमित रूप से दुकान पर भी बैठ रहे हैं और पिता का सहयोग कर रहे हैं। शिक्षकों की बात

यह पहला मौका था जब इतने लंबे समय तक स्कूल सूना रहा। आज परिसर में विद्यार्थियों को देखकर बहुत खुशी और संतोष हो रहा है। सभी बच्चों से मिलने की अकुलाहट है।

- सत्य प्रकाश पांडेय, शिक्षक स्कूल में बच्चों से मिलने की खुशी शब्दों में कहपाना कठिन है। रविवार की रात कब कट गई पता ही नहीं चला। ऐसा इसलिए कि बच्चों से मिलने को लेकर मन उतावला था।

- अवधेश गुप्त, शिक्षक विद्यालय परिसर में बच्चों को देखकर संतोष मिल रहा है। उम्मीद जगी है कि जल्द ही सभी बच्चे आने लगेंगे। पहले हर तरफ वीरानगी थी। ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं।

- विश्वनाथ मिश्र, शिक्षक स्कूल में बच्चे आएंगे इस बात को सोंचकर ही मन खुश हो गया। जल्दी से सभी बच्चें आने लगे यही ईश्वर से प्रार्थना है। कोर्स समय से पूरा करना है। मेहनत करनी होगी।

- आशा श्रीवास्तव, शिक्षक कहना है विद्यार्थियों का

स्कूल खुलने को लेकर रविवार शाम से ही इंतजार कर रहे थे। विद्यालय में जो माहौल मिलता है घर में वह बात नहीं होती है।

- नेहा शुक्ला, जीजीआइसी ऑनलाइन क्लास नियमित रूप से करते थे लेकिन बहुत समझ में नहीं आता था। अब स्कूल में पढ़ाई होगी तो समस्याएं हल होंगी।

-परी गुप्ता, जीजीआइसी दोस्तों से मिलकर मजा आ गया। मोबाइल पर विषय समझ में नहीं आता था। टीचर से आमने सामने बात होगी तो ज्याद समझ में आएगा।

-समीक्षा, जीजीआइसी कोरोना का डर तो है लेकिन स्कूल आना भी जरूरी है। बिना स्कूल आए पूरी पढ़ाई नहीं हो पाएगी। अब टीचर से कुछ भी पूछ सकते हैं।

-नंदिनी शर्मा, जीजीआइसी दोस्तों के साथ खेलना बहुत मिस किया। अपनी कॉपियों को दूसरों के साथ मिलाना हमे बहुत पसंद है जो ऑनलाइन नहीं हो पाता था।

-खुशी गुप्ता, आर्यकन्या इंटर कॉलेज लॉकडाउन के समय स्कूल की कैंटीन को बहुत मिस किया। घर पर सब कुछ होता था लेकिन दोस्तों के साथ बैठने का मजा ही अलग है।

-जागृति निषाद, आर्यकन्या इंटर कॉलेज स्कूल के कार्यक्रमों को मिल किया। इतने दिन घर में रहे किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम में नहीं हिस्सा ले सकें। अब सब ठीक होगा।

- सोनम श्रीवास्तव, आर्यकन्या इंटर कॉलेज कोर्स पूरा नहीं हो रहा था इसलिए आना जरूरी था। घर के लोग स्कूल अभी नहीं भेजना चाहते थे लेकिन जिद कर के अनुमति लेकर आए हैं।

-तान्या केसरवानी, आर्यकन्या इंटर कॉलेज मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं था जिससे पढ़ाई नहीं हो पा रही थी।कोर्स पूरा करने की कोशिश करते रहे। अब पढ़ाई होगी तो सब ठीक हो जाएगा।

-हर्ष केसरवानी, शिवचरण दास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज गांव में मोबाइल के सिग्नल नहीं आते हैंी। फोन पर टीचरों से बात कर के विषय को समझने की कोशिश करते थे लेकिन हो नहीं पा रहा था।

- दीपक चौधरी, शिवचरण दास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज


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