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Jagran.com Impact : इन्‍हें सरकारी योजना का नहीं मिल रहा था लाभ, अब मदद को बढ़े हाथ

प्रयागराज में नवाबगंज का गरीब सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित था। जागरण डाट काॅम पर खबर चली तो इसे संज्ञान में लिया गया। अब मदद को हाथ बढ़े हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 09:24 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:00 PM (IST)
Jagran.com Impact : इन्‍हें सरकारी योजना का नहीं मिल रहा था लाभ, अब मदद को बढ़े हाथ
Jagran.com Impact : इन्‍हें सरकारी योजना का नहीं मिल रहा था लाभ, अब मदद को बढ़े हाथ

प्रयागराज, जेएनएन। जनपद में नवाबगंज थानांतर्गत सेरावां मजरे के अल्पी का पूरा गांव निवासी संतोष शुक्ल अपनी गरीबी से परेशान हैं। उस पर उन्‍हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा था। उनकी इस समस्‍या को जागरण डॉट काम पर खबर के माध्‍यम से सामने लाया गया। जागरण डॉट कॉम की इस खबर का असर भी दिखा। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के गंगापार जिलाध्यक्ष राकेश जायसवाल और लक्ष्मी नारायण जायसवाल ने इस गरीब की सहायता को पहल की। उन्‍होंने आनन-फानन में हैंडपंप लगवाना शुरू करा दिया गया।

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सरकारी योजनाओं का संतोष को नहीं मिला लाभ

एक ओर सरकार गरीबों व जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए फिक्रमंद है। वहीं दूसरी ओर स्‍थानीय स्‍तर पर इसमें लापरवाही या उदासीनता भी बरती जा रही है। जिले में चाहे जो भी सरकारी योजनाएं हों, वह संतोष के लिए नाकाफी हैं। वजह यह है कि उन्हें अब तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल सका। हैरानी की बात तो यह है कि घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर सेरावां में विद्युत उपकेंद्र है। यही नहीं, 250 मीटर की दूरी पर 25 केवीए के दो ट्रांसफॉर्मर भी लगे हैं। फिर भी संतोष ढिबरी के सहारे आज भी जिंदगी गुजार रहे हैं। उन्होंने कई बार बिजली विभाग के अफसरों से गुहार भी लगाई। हालांकि  कोई उनकी व्यथा सुनने को खाली नहीं है। अलबत्ता इस वक्त उनकी इस व्यथा पर सियासी रोटी खूब सेंकी जा रही है।

संतोष साइकिल से रोजाना ढोते हैं पानी

संतोष तेलियरगंज में एक दुकान पर काम करते हैं। माली हालत इतनी खराब है कि वह रोजाना साइकिल से तेलियरगंज जाते हैं। यही नहीं, वह दूसरे गांव से पानी भी हर रोज साइकिल से ढोते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार हैंडपंप के लिए गुहार लगाई लेकिन हर बार केवल कोरा आश्वासन मिला। संतोष कहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्‍हें नहीं मिल रहा है। वह गरीब हैं शायद इसीलिए उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। कहा कि ऐसा नहीं है कि इसके लिए उन्‍होंने अधिकारियों की चौखट पर नहीं पहुंचे। जाने के बाद भी उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।


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