प्रयागराज की बैठक में संघ प्रमुख का संदेश- सब के लिए खुलें मंदिर, जल स्रोत व श्मशान घाट
जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर हो रहे इस आयोजन के दूसरे व आखिरी दिन संघ प्रमुख ने स्पष्ट संदेश दिया कि हमे ऐसा आत्मनिर्भर सशक्त समाज बनाना है जहां सभी को बराबरी का दर्जा मिले। मंदिर जल स्रोत व श्मशान घाट जैसे स्थल सभी के लिए खुले हों।
प्रयागराज, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सामाजिक सरोकारों व समरसता के साथ आगे बढ़ते हुए राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएगा। प्रत्येक स्वयंसेवक को इस महायज्ञ में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी होगी। बदलते परिवेश में खुद को भी आवश्यकता के अनुसार बदलना होगा। यह आह्वान आरएसएस के सर संघ चालक डॉ. मोहन राव भागवत ने सोमवार को गौहनिया में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की बैठक में किया।
सभी को बराबरी का दर्जा मिले
जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर हो रहे इस आयोजन के दूसरे व आखिरी दिन संघ प्रमुख ने स्पष्ट संदेश दिया कि हमें ऐसा आत्मनिर्भर, सशक्त समाज बनाना है जहां सभी को बराबरी का दर्जा मिले। मंदिर, जल स्रोत व श्मशान घाट जैसे स्थल सभी के लिए खुले हों। कहीं भी भेदभाव व छुआछूत की बात न हो। इसकी वजह यह कि टुकड़ों में बंटा समाज कभी भी न तो प्रगति कर सकता है और न मजबूती से खड़ा हो सकता है। बैठक में संघ प्रमुख के अतिरिक्त सर कार्यवाह भैया जी जोशी, सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, मुकुंद, डॉ. मनमोहन वैद्य, डॉ. कृष्ण गोपाल के साथ तीन अखिल भारतीय अधिकारी बालकृष्ण त्रिपाठी, अनिल ओक, अजीत महापात्रा के साथ कानपुर, काशी, अवध व गोरक्ष प्रांत के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
सेवा कार्यों में लगे लोगों को संघ से जोड़ने का आह्वान
गौहनिया में हुए अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की बैठक में दो दिन चले मंथन में संघ प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वर्तमान कार्यों की समीक्षा की। आगे के लिए रणनीति भी बनाई। कोरोना काल में किए गए सेवा कार्यों पर भी संतोष जताया। सभी से कुटुंब प्रबोधन पर कार्य करने का आह्वान किया गया। संघ प्रमुख ने कहा कि स्वयंसेवकों के अतिरिक्त जिन लोगों ने कोरोना काल में सेवा कार्य किया वे सज्जन शक्तियां हैं। हमें चाहिए कि ऐसी सज्जन शक्तियों को अपने संपर्क में लाएं। उन्हें संगठन की रीति व नीति से परिचित कराएं। उनकी सकारात्मक ऊर्जा को राष्ट्र निर्माण में लगाएं।