कुंभ की ब्रांडिंग ने संगम से भरी उड़ान
केंद्र में मोदी सरकार को चार वर्ष पूरे हो गए हैं। प्रयागराज यानी इलाहाबाद को इन चार वर्षो बहुत कुछ मिला और बहुत मिलना बाकी है। इतना तो तय है कि संगम तट पर लगने वाले कुंभ की ब्रांडिंग पहली बार इतने बडे पैमाने पर हो रही है।
केंद्र में मोदी सरकार को चार वर्ष पूरे हो गए हैं। प्रयागराज यानी इलाहाबाद को इन चार वर्षो जो मिला है, उसमें कुंभ को बतौर ब्रांड पेश करने की तैयारी को पहले स्थान पर जाना चाहिए। अब से करीब साढ़े सात महीने बाद पावन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम के तट पर इसका परिणाम देखने को मिलेगा। करीब सवा सौ देशों में इसका प्रचार, वहां के राष्ट्र प्रमुखों को यहां लाने का प्रयास किया जा रहा है। इतना ही नहीं, प्रवासी भारतीयों का बहुत बड़ा दल कुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगा कर इस धरती के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करेगा। इसीलिए केंद्र सरकार ने तंबुओं का सुसज्जित शहर बसाने के लिए 12 अरब रुपये जारी कर दिए हैं।
गंगा को जीवन देने के लिए नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई। इसके लिए इसके किनारे के गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ ) बनाने के लिए योजनाएं शुरू कीं। स्थानीय कारणों से यह कितना कारगर हो पाई, इसका आकलन होना बाकी है। इसी तरह से नालों एवं सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोकने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने हैं। इसी दौरान शहर को स्मार्ट बनाने की योजना भी आ गई। इस समय शहर में स्मार्ट सिटी, महायोजना और कुंभ के कार्यो की बाढ़ सी आ गई है। उम्मीद है कि बारिश के बाद शहर का नया स्वरूप उभर कर सामने आएगा। मलाकराज से शहर को जोड़ने वाले आठ लेन के पुल का श्रीगणेश भी होने वाला है। कोखराज से करारी होते हुए यमुनापार से होते हुए हंडिया तक का बाइपास अंकुरित हो रहा है, कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है।
इलाहाबाद शहर की कनेक्टिविटी को दुरुस्त करने के जल, थल और नभ तीनों रूटों में प्रयास हो रहे हैं। गंगा नदी पर जल परिवहन को शुरू करने की फाइल चल पड़ी है। सड़क परिवहन के लिए अन्य धार्मिक शहरों और जिला मुख्यालयों के राजमार्गो को फोर लेन बनाया जा रहा है, जबकि दिल्ली-कोलकाता हाईवे को छह लेन का बनाया जा रहा है। रेल परिवहन को सुधारने के लिए शहर के आसपास के सैटेलाइट रेल स्टेशनों की सुविधाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी होनी है। बम्हरौली हवाई अड्डे पर सिविल टर्मिनल का कार्य चालू हो चुका है, इसके बनते ही कई उड़ानें यहां आने लगेंगी। क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के तहत 14 जून से लखनऊ के लिए उड़ान शुरू होने जा रही है।
उद्योग जगत की बात करें तो मोदी सरकार ने नैनी में एचसीएल की परिसंपत्तियों का उपयोग करते हुए उस स्थान पर हेलीकाप्टर बनाने वाली कंपनी एनएईएल को चालू कर दिया है। जबकि बीपीसीएल के जीर्णोद्धार के लिए भारी-भरकम रकम जारी हो चुकी है। अब वह कंपनी अपना कार्य सुचारु रूप से कर रही है। इतना ही नहीं इंडियन टेलीफोन कंपनी (आइटीआइ) अब सौर ऊर्जा उपकरण बनाने लगी है। एलस्ट्रॉम कंपनी को काम मिल गया तो वह अब भी नैनी औद्योगिक क्षेत्र की शोभा बढ़ा रही है। जानकारों का कहना है कि अगर नैनी में ट्रांसफार्मर टेस्टिंग सुविधा विकसित हो जाए तो यह बड़े ट्रांसफार्मर बनाने का उत्तर भारत का सबसे बड़ा हब बन जाएगा।
इन चार वर्षो के दरम्यान शहर के गौरव को बढ़ाने के लिए प्रयास किए गए हैं। मसलन हेलीकाप्टर पर सेंसर लगा कर अदृश्य सरस्वती नदी की खोज एक बार फिर से शुरू की गई है। कई संस्थानों के मिले-जुले प्रयास वाले इस सर्वे से पूरे क्षेत्र भूगर्भ जल के स्रोत खोजने की मैपिंग भी होगी, समय आने पर उसके डाटा उपयोगी साबित होंगे। अब से करीब नौ दशक पहले शहर में स्थापित संग्रहालय को उच्चीकृत कर इसे राष्ट्रीय फलक में लाने के प्रयास भी किए गए। कर्जन ब्रिज को हैरिटेज घोषित कर रेलवे इस शहर को एक उपहार दे चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के डेढ़ सौ वर्ष का जश्न मनाया गया, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्रमश: उद्घाटन और समापन पर स्वयं मौजूद रहे। इस अवसर पर सिक्का भी जारी किया गया और शहर की सड़कें भी चमक गई। हाईकोर्ट की फाइलों का डिजिटाइजेशन भी हुआ और ऐसा करने वाला देश का पहला हाईकोर्ट बना। इतना कहा जा सकता है कि शिक्षा के स्तर के कारण कभी पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इन चार वर्षो में केंद्र से बड़ा लेने में सफलता नहीं पाई, लेकिन यहां की मेधा ने सिविल सर्विसेज में एक बार फिर से धाक जमानी शुरू कर दी है।
मोदी सरकार के आने के बाद इलाहाबाद का राजनीतिक महत्व भी बढ़ा है। 2016 में यहां भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के हर बड़े राजनेता ने तीन दिन तक प्रयाग प्रवास किया। इसके बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टियों ने भी इसे महत्व देना शुरू किया। यूं कहा जाए कि भाजपा के उत्तर प्रदेश फतह की नींव इस प्रयाग की धरती पर पड़ी। इसी कारण फूलपुर का उपचुनाव देश-विदेश में चर्चा का विषय बना। कहावत है, आधा खाली या आधा भरा, तो सबका जवाब यही रहता है कि आधा भरा देखना सकारात्मक सोच है। उम्मीद बहुत है, काम भी कई बाकी बचे होंगे लेकिन तुलनात्मक दृष्टि से प्रयाग की सरजमीं को इस अवधि में भरपूर सम्मान और उपहार मिले हैं। कई वर्षो से उपेक्षित इलाहाबाद जिस रनवे में दौड़ पड़ा है, उससे इसकी उड़ान बहुत ऊंचाइयों को छुएगी। उम्मीद की जाती है आखिरी के पांचवें साल में इसे ऐसा कुछ और हासिल होगा, जिसका जिक्र सालों-साल किया जा सकेगा।
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संगमतीरे
-जगदीश जोशी