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प्रतापगढ़ में कल-कल बहने को तरस रही सई नदी

बरसात को छोड़कर आम दिनों में शहर में सई का पानी एकदम काला नजर आता है। नदी के जल में प्रदूषण के मिलने से जलीय जीव संकट में हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 01:26 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 01:26 PM (IST)
प्रतापगढ़ में कल-कल बहने को तरस रही सई नदी
प्रतापगढ़ में कल-कल बहने को तरस रही सई नदी

प्रतापगढ़,जेएनएन। जिले से होकर बहने वाली सई नदी प्रदूषण से उबर नहीं पा रही है। यह हाल तब है जब यह प्रदेश की प्रमुख नदियों में एक  है। इस नदी को साफ करने के लिए कई बार प्रयास हुए। लेकिन हर बार प्रचार अधिक हुआ और काम न के बराबर ही रहा।

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 शासन-प्रशासन की उदीसीनता के चलते प्रदूषण से बदहाल है नदी

स्थानीय नागरिक और बुद्धिजीवी इसके अस्तित्व को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते नदी अब तक बदहाल है। हरदोई जिले की एक झील से निकलकर यह नदी जौनपुर के राजघाट में गोमती नदी से मिल जाती है। प्रतापगढ़ में करीब 110 किमी क्षेत्र कवर करती है। इस नदी में जिले में बकुलाही, भैंसरा, लोनी, सकरनी नदियां भी मिल जाती हैं। सई की प्रमुख सहायक नदियों में बकुलाही नदी का नाम शामिल है। सई का पानी केवल खेती के काम ही आ पाता है, गंदगी अधिक होने के चलते इसे पीने के उपयोग में नहीं लिया जाता।

रामचरित मानस में है सई नदी का जिक्र

यह नदी प्रतापगढ़ व रायबरेली शहरों से निकलने वाले नालों की वजह से बदहाल है। देखा जाए तो सई नदी का नाम राम चरित मानस तक में आया है। इसे अयोध्या के निकट बहने वाली नदी के कारण श्रद्धा की नजर से देखा जाता है। इसके तट पर पूजा-अर्चना करने के लिए बेल्हा देवी धाम सहित कई प्रमुख स्थल हैं। इसके बाद भी नदी का पानी दिनों दिन प्रदूषित हो रहा है।

रायबरेली जिले की प्रदूषण में अधिक भूमिका

प्रदूषण फैलाने में रायबरेली जिले की भूमिका अधिक है। बरसात को छोड़कर आम दिनों में शहर में सई का पानी एकदम काला नजर आता है। नदी के जल में प्रदूषण के मिलने से जलीय जीव संकट में हैं।


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