आरएसएस प्रांत प्रचारक बोले- अमृत महोत्सव के माध्यम से जनमानस में देशभक्ति के भाव जगाने की कोशिश
आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि अमृत महोत्सव के नाम पर जो आयोजन हो रहा है उसमें जनमानस में देशभक्ति के भाव जगाने की कोशिश है। वास्तव में देशभक्ति का वायुमंडल खड़ा करने के लिए यह महोत्सव है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से चल रहे अमृत महोत्सव से आम जन में राष्ट्रीयता के भाव जगाने की कोशिश की जा रही है। उन अमर बलिदानियों को नमन किया जा रहा है जिनके नाम तक से हम परिचित नहीं हैं। प्रयाग उत्तर की तरफ से हुए आयोजन में प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि स्वाधीनता से स्वतंत्रता को पाने के महा अभियान अमृत महोत्सव है। 1498 से 1947 तक चले भीषण संघर्ष की बलिदान गाथा इतिहास के पन्नों में सही नहीं लिखी गई। यह बलिदानियों के साथ अन्याय है।
भारत माता का पूजन व वंदेमातरम का सामूहिक उद्घोष हुआ
आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि अमृत महोत्सव के नाम पर जो आयोजन हो रहा है इसमें जनमानस में देशभक्ति के भाव जगाने की कोशिश है। वास्तव में देशभक्ति का वायुमंडल खड़ा करने के लिए यह महोत्सव है। इससे पूर्व भारत माता का पूजन और वंदेमातरम का भी सामूहिक रूप से उद्घोष किया गया।
बोले, देश कभी पूरी तरह से गुलाम नहीं हुआ
प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि पूरा देश कभी भी गुलाम नहीं हुआ। देशवासियों को पढ़ाया जाता है कि एक लंबे समय तक देश मुगलों और अंग्रेजों के अधीन रहा जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। आजादी के लिए लगातार संघर्ष चलते रहे। पूरे देश पर विदेशियों का आधिपत्य कभी भी स्थापित नहीं हो पाया। इतिहास के पन्नों में इस सच्चाई को स्थान नहीं मिल पाया है। इस सत्य का साक्षात्कार कराने के लिए जन जागरण का अभियान जारी है। उन्होंने आह्वान किया कि बलिदानी चंद्रशेखर आजाद से प्रेरणा लेकर सभी लोग अपने मन में देशभक्ति का भाव जगाएं और राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह सचेष्ट रहें।
स्वतंत्रता समझौता वादियों ने नहीं बल्कि क्रांतिकारियों ने दिलाई : प्रो. राज बिहारी
अमृत महोत्सव में प्रो. राज बिहारी लाल ने कहा कि देश को स्वतंत्रता समझौता वादियों ने नहीं बल्कि क्रांतिकारियों ने दिलाई है। इसके लिए हजारों लोगों को बलिदान देना पड़ा है। देश बलिदानियों के प्रति कृतज्ञ है। इस मौके पर शिव कुमार पाल ने भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर से प्रयास करना चाहिए कि राष्ट्रीयता के लिए कुछ न कुछ करे। आज हर कोई अधिकार की बात करता है। कर्तव्य की नहीं। समय आ चुका है कि कर्तव्यों को महत्व दें। अधिकार स्वत: मिलने लगेंगे। अधिकार के नाम पर कर्तव्य की अनदेखी ठीक नहीं है।