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रेल ब्रिज पिलर की नई तकनीक से कम बाधित होगा नदी प्रवाह, प्रयागराज में यमुना नदी पर बन रहा पुल

आधुनिक तकनीक से 1.034 किलोमीटर लंबा पुल बनाए जाने का काम 2016-17 में शुरू हुआ था। नदी में 60.83 मीटर के अंतराल में पिलर बनाए गए हैं। प्रत्येक पिलर की नींव नदी में 40 से 45 मीटर गहरी है। नीचे इसका व्यास नौ मीटर है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:40 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 07:40 AM (IST)
रेल ब्रिज पिलर की नई तकनीक से कम बाधित होगा नदी प्रवाह, प्रयागराज में यमुना नदी पर बन रहा पुल
नैनी स्थित यमुना में डेटिकेडेट फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोशन ऑफ इंडिया के द्वारा बनाया जा रहा है रेलवे ब्रिज ।

प्रयागराज,[प्रमोद यादव]।  ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर (ईडीएफसी) के लिए यहां यमुना नदी पर बनाए जा रहे डबल ट्रैक रेल ब्रिज के पिलर में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है जिससे नदी प्रवाह कम बाधित होगा। कुल 18 पिलर वेल सिकिंग मेथड से बनाए गए हैैं। आधार (बेस) का व्यास नौ मीटर है जबकि ऊपरी हिस्से का व्यास 22 मीटर। रेल ब्रिज पिलर के लिए वेल सिंकिंग तकनीक इस्तेमाल हो रही है। डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन यह ब्रिज अगले पांच महीने में तैयार हो जाएगा।

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पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक 1856 किलोमीटर ईडीएफसी बनाया जा रहा है। इस पर केवल मालगाडिय़ां दौड़ेंगी। फिलहाल कानपुर के निकट कानपुर के भाऊपुर से खुर्जा तक मालगाडिय़ों का संचालन हो रहा है। जल्द ही भाऊपुर से रूरा और फिर रूरा से सुजातपुर (कौशांबी) तक संचालन होने लगेगा। सुजातपुर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (पूर्ववर्ती मुगलसराय) के बीच भी तेजी से काम चल रहा है। आधुनिक तकनीक से 1.034 किलोमीटर लंबा पुल बनाए जाने का काम 2016-17 में शुरू हुआ था। नदी में 60.83 मीटर के अंतराल में पिलर बनाए गए हैं। प्रत्येक पिलर की नींव नदी में 40 से 45 मीटर गहरी है। नीचे इसका व्यास नौ मीटर है। वेल सिंकिंग मेथड के जरिए ऊपर इसे 22 मीटर चौड़ा रखा है। इससे मजबूती रहेगी। सभी पिलर बन चुके हैं और 14 पिलर पर गर्डर भी बिछाया चुका है।

इंक्रीमेंटल लांचिंग तकनीक से बिछा रहे गर्डर

ब्रिज में लोहे के गर्डर लगाए जा रहे हैं। पंजाब के रोपड़ से मंगाए गए 34 गर्डर 280 टन वजनी है। अभी 25 गर्डर बिछाए जा चुके हैं। गर्डर को नदी से करीब 17 मीटर ऊपर एक से दूसरे पिलर के बीच बिछाने के लिए नीचे कोई सपोर्ट नहीं दिया जाता है, इंक्रीमेंटल लांचिंग तकनीक से ऊपर से ही क्रेन के जरिए यह काम किया जा रहा है। मैन पॉवर कम और मशीन का ज्यादा इस्तेमाल है। कुल 9520 टन लोहे के गर्डर को बांधने के लिए 8.84 लाख नट बोल्ट लगाए गए हैं।

बिना प्रवाह रोके बनाया था पिलर

नदी में पिलर बनाने के लिए पहले उसकी धारा मोडऩी पड़ती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। पिलर बनाने के लिए उसके आसपास तैरता हुआ प्लेटफार्म बनाया गया और धीरे-धीरे पिलर तैयार कर दिया गया। जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सेव इंफ्रास्ट्रक्चर (गिल -सिल) का ज्वाइंट वेंचर यह निर्माण कर रहा है।

अगले पांच महीने में तैयार हो जाएगा पुल

ईडीएफसी के मुख्‍य महाप्रबंधक ओम प्रकाश ने बताया कि इंक्रीमेंटल लांचिंग मेथड, वेल सिंकिंग मेथड सहित कई तकनीकों के इस्तेमाल से प्रोजेक्ट की शीघ्रता व नदी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। अगले पांच महीने में तैयार हो जाएगा।


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