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माघ मेला में किताबों के रूप में संगम किनारे 'सरस्वती' विराजमान Prayagraj News

कारोबार के साथ ही माघ मेला क्षेत्र में आने वाले लोगों की आस्‍था को भी धार्मिक किताबें बढ़ा रही हैं। पुराण रामचरित मानस गीता पंचाग की ग्राहकों में अधिक मांग है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:13 AM (IST)
माघ मेला में किताबों के रूप में संगम किनारे 'सरस्वती' विराजमान Prayagraj News
माघ मेला में किताबों के रूप में संगम किनारे 'सरस्वती' विराजमान Prayagraj News

प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। कहते हैं गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में सरस्वती नदी अदृश्य हैं। कुछ लोगों में यह भी मान्यता है कि सरस्वती नदी सैकड़ों साल पहले विलुप्त हो गईं। जबकि माघ मेला क्षेत्र में जगह-जगह बिक रही किताबों के रूप में सरस्वती अब भी विराजमान हैं। पुराण, रामचरित मानस, महाभारत, श्रीमद्भगवत गीता, धार्मिक ज्ञानवर्धक किताबें, गंगा नदी अवतरण की कहानी और पंचांग आदि। मेला क्षेत्र में इन किताबों सहित विभिन्न ग्रंथों के टीके भी खूब पसंद किए जा रहे हैं।

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कुछ संगठन द्वारा किताबें मेला क्षेत्र में निश्शुल्क दी जा रही

माघ मेला क्षेत्र धर्म प्रचार के विभिन्न केंद्रों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, कल्पवासियों और साधु संन्यासियों से भरा पड़ा है। इनमें किताबों का सबसे अलग स्थान है। कहीं मेला प्रशासन से आवंटित दुकानों पर, कहीं जमीन पर तो कहीं हाथों-हाथ किताबों की बिक्री हो रही है। इनमें वार्षिक कैलेंडर, पंचांग, राशिफल के अनुसार भविष्य देखने की गणना, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड की बड़ी से लेकर पाकेट तक में रखने वाली किताबें, भारत के महान ऋषि मुनियों की कहानियां भी बताने वाली किताबें उपलब्ध हैं। कुछ संगठनों की ओर से किताबें मेला क्षेत्र में आने वालों को निश्शुल्क दी जा रही हैं।

किताब को साक्षात सरस्वती की संज्ञा दी

महावीर मार्ग पर किताब की दुकान लगाए रामतीर्थ दुबे ने बताया कि यह धर्म क्षेत्र है, इसलिए यहां धार्मिक किताबें ज्यादा बिकती हैं। उन्होंने किताब को साक्षात सरस्वती की संज्ञा दी। कहा कि महान लेखकों की कलम से ही सरस्वती की धारा प्रवाहित होती है। संगम अपर मार्ग पर किताब की दुकान लगाए रमेश कुमार तिवारी कहते हैं कि माघ मेला क्षेत्र में आकर शिविरों में प्रवचन सुनना और धार्मिक किताबें पढ़कर ज्ञान प्राप्त करने में काफी अंतर है। बताया कि प्रत्येक वर्ष माघ मेले में किताबों की दुकानें लगाते हैं।


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