यूपी बोर्ड में क्षेत्रीय भाषाओं की हालत खस्ता
हाईस्कूल में मलयालम सहित कई भाषाओं में पंजीकरण शून्य इंटरमीडिएट में मराठी और उडि
हाईस्कूल में मलयालम सहित कई भाषाओं में पंजीकरण शून्य
इंटरमीडिएट में मराठी और उड़िया में कोई पंजीकरण नहीं
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के परिणाम में कई क्षेत्रीय भाषाओं की हालत खस्ता है। 10वीं कक्षा में 20 भाषाओं में 2 में कोई भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हुआ है। दो भाषाओं में एक-एक पंजीकरण है। इसी प्रकार इंटरमीडिएट में शामिल 20 भाषाओं में एक ऐसी हैं जिनमें किसी छात्र का पंजीकरण ही नहीं है। कुछ भाषाओं में 1 से 3 तक पंजीकरण है। हैरानी वाली बात जिन भाषाओं 1 से 5 तक छात्र पंजीकृत हैं वह परीक्षा भी पास नहीं कर पाए हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के हालिया हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के वर्ष 2017 के परीक्षा परिणाम में कई भारतीय भाषाओं में अभ्यर्थियों की संख्या शून्य हो चुकी है। इंटरमीडिएट कक्षाओं में भाषाओं की स्थिति पर नजर डालें तो इसमें 20 भाषाएं सूचीबद्ध हैं। गुजराती, मराठी, बंगला, असामी, उड़िया कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम, सिंधी और नेपाली में सबसे कम परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं। इन 9 भाषाओं में छात्र पंजीकरण एवं उत्तीर्ण प्रतिशत की स्थिति दयनीय है। गुजराती में कोई पंजीकरण नहीं हुआ था। इसी प्रकार बंगला में मात्र 23 छात्र पंजीकृत हुए इसमें मात्र 12 ने परीक्षा दी, इसमें 9 छात्र उत्तीर्ण हुए। आसामी में 2 छात्र पंजीकृत हुए, दोनों छात्र पास हुए। उड़िया में 6 पंजीकृत हुए। कोई पास नहीं हुआ। कन्नड़ में 18 छात्र पंजीकृत हुए। इसमें मात्र 8 छात्र ने परीक्षा दी, वह 6 पास हुए। तमिल में दस छात्र पंजीकृत हुए। 5 पंजीकृत, 3 पास हुए। तेलगू में मात्र 2 पंजीकृत हुए, 1 शामिल हुआ लेकिन पास नहीं हो पाया। मलयालम में मात्र 1 छात्र पंजीकृत हुआ। यह पास हो गया। नेपाली में 1 पंजीकृत छात्र पंजीकृत एवं उत्तीर्ण हुआ। कुछ बेहतर स्थिति वाली भाषाओं में अरबी विषय में 110 पंजीकृत हुए, 106 शामिल हुए, 103 पास हुए। फारसी में 69 पंजीकृत, 63 परीक्षा में शामिल और 61 पास हुए। पालि में 59 पंजीकृत हुए। 49 परीक्षा में शामिल हुए, 47 पास हुए। सिंधी में 63 छात्र पंजीकृत रहे। इसमें 45 ने परीक्षा दी, 42 पास हुए। पंजाबी में 104 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हुए थे। इसमें 100 ने परीक्षा दी, 94 पास हुए। इन भाषाओं की हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू से तुलना की जाए तो स्थिति काफी दयनीय है।
वहीं हाईस्कूल की बात करें तो मलयालम भाषा में कोई पंजीकरण नहीं हो पाया है। छ: भाषाओं में पंजीकरण 1 से 7 के मध्य है। आसामी में मात्र 1 पंजीकरण है। उड़िया में मात्र 1 पंजीकृत छात्र उत्तीर्ण हुआ। इसी प्रकार तमिल और नेपाली क्रमश: 8 व 5 छात्र पंजीकृत हुए हैं। तमिल में 5 शामिल हुए और मात्र 1 पास हुआ। इसी प्रकार नेपाली में पांच पंजीकृत में 2 परीक्षा में शामिल हुए, दोनो पास हुए। पालि की स्थिति काफी खराब है, इस वर्ष इस भाषा में मात्र 7 पंजीकृत हुए, इनमें 6 शामिल एवं मात्र 4 पास हुए। कुछ बेहतर स्थिति वाली भाषाओं में गुजराती, कश्मीरी, तेलगू हैं। इनमें क्रमश: 108, 104 और 130 छात्र पंजीकृत रहे। इससे अच्छी स्थिति में अरबी में 229 एवं फारसी में 173 पंजीकरण पंजीकृत रहे। राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डीके सिंह कना कहना है कि प्रदेश में जो लोग दूसरे प्रांत निवासी हैं, 80 के दशक तक लोग अपने प्रांत की भाषाओं के प्रति संवेदनशील हुआ करते थे। तब इनकी संख्या स्कूलों हुआ करती थी। बाद में अभिभावक स्वयं क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति उदासीन होते गए। गत 20 वर्षो में इन भाषाओं की स्थिति चिंताजनक है।