SHUATS यूनिवर्सिटी चलाने वाले लाल ब्रदर्स का रिकॉर्ड हिस्ट्रीशीटरों जैसा, पूरा परिवार आपराधिक इतिहास वाला
लाल बंधुओं के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले दिवाकर नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि ढेरों मुकदमे होने पर भी वे शुआट्स में जमे रहे और अपनी-अपनी गतिविधियां बेधड़क चलाते रहे। इसके पीछे शासन और प्रशासन की भी उदासीनता है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: सैम हिग्गिन बाटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) निदेशक विनोद बी लाल और कुलपति आरबी लाल सहित तीनों लाल बंधुओं का आपराधिक रिकार्ड किसी पेशेवर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर जैसा है। एक-दो या तीन नहीं बल्कि एक भाई पर आठ, दूसरे पर डेढ़ दर्जन तो तीसरे पर ढाई दर्जन मुकदमे हैं। पूरा परिवार ही आपराधिक इतिहास वाला है लेकिन तब भी गजब की बात है कि एक भाई कुलपति और दूसरा निदेशक। इनके साथ काम करने वाले भी तमाम मुकदमों में फंसे हैं।
शुआट्स के कुलपति आरबी लाल पर हत्या सहित अन्य आरोपों मे 18 मुकदमे दर्ज हैं। पहला मुकदमा गाली गलौज और धमकी का 1998 में नैनी थाने में लिखा गया। 2011 में नैनी थाने में ही हत्या और आपराधिक साजिश का दूसरा मुकदमा लिखा गया। इसके बाद प्रतापगढ़ में धोखाधड़ी और जालसाजी का केस हुआ। प्रयागराज के कैंट, सिविल लाइंस, जार्जटाउन, करछना थानों में भी धोखाधड़ी और एससी-एसटी एक्ट की एफआइआर है। 2021 में सीबीआइ ने धोखाधड़ी तथा हेराफेरी का केस लिखा। अगले दो मुकदमे 2022 में फतेहपुर में दर्ज हुए।
वहीं, विनोद बी लाल 33 मुकदमों में आरोपित है। ज्यादातर मुकदमे धोखाधड़ी और हेराफेरी के हैं। विनोद बी लाल पर भी पहले दोनों मुकदमे 1998 में नैनी थाने में लिखे गए थे। 2014 के बाद तो हर वर्ष लगातार आपराधिक केस किसी न किसी थाने में विनोद बी लाल के खिलाफ दर्ज होते रहे हैं। 2018 में नैनी पुलिस ने विनोद के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट (गिरोहबंदी अधिनियम) के तहत मुकदमा लिखा। तीसरे भाई शुआट्स के प्रो वाइस चांसलर डा. एसबी लाल के विरुद्ध भी 2014 से अब तक नौ एफआइआर दर्ज हैं।
लाल बंधुओं के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले दिवाकर नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि ढेरों मुकदमे होने पर भी वे शुआट्स में जमे रहे और अपनी-अपनी गतिविधियां बेधड़क चलाते रहे। इसके पीछे शासन और प्रशासन की भी उदासीनता है।
हिस्ट्रीशीट क्यों नहीं?
दो-चार मुकदमे दर्ज होने पर अपराधियों के हिस्ट्रीशीट खोलकर पुलिस निगरानी शुरू कर देती है लेकिन लाल बंधुओं के खिलाफ इतने मुकदमे लिखे जाने के बाद भी उन्हें हिस्ट्रीशीटर नहीं बनाया गया है। ऐसा क्यों? इस पर शुआट्स के क्षेत्रीय थाने नैनी के इंस्पेक्टर बृजेश सिंह कहते हैं कि इतने मुकदमे हैं फिर हिस्ट्रीशीट नहीं खुली तो इसकी कुछ वजह होगी जो वह साफतौर पर नहीं जानते।
शुआट्स की छवि धूमिल करने की कोशिश
शुआट्स के प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी डा. रमाकांत का कहना है कि शुआट्स की छवि धूमिल करने के लिये एक ईसाई व्यक्ति का मतांतरण एवं अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से तार जोड़ने का झूठा आरोप शुआट्स के पुरा छात्र दिनेश शुक्ला द्वारा लगाया गया है। शुआट्स में अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में देश-विदेश के लोग सम्मिलित होते हैं, सभी फोटो इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध हैं कुछ भी छिपाया नहीं गया है।