Ram Leela Story: प्रयागराज में श्रीराम की भक्ति में लीन हैं रहीम के भी बंदे, पढ़िए खास खबर
श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी की कथा रामराज की में मुस्लिम परिवार की हुमा कमाल गुरु मां सती अनसुइया व त्रिजटा का पात्र निभा रही हैं। हुमा पांच साल से रामलीला में अभिनय कर रही हैं। घर में रामायण देखती हैं तीन बेटे हैं उन्हें भी संस्कारित करती हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। भक्ति, समर्पण, वैराग्य से परिपूर्ण सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रही है रामलीला। लीला को भव्य बनाने का जिम्मा उठाया है रहीम के बंदों अर्थात मुस्लिम कलाकारों ने। मुस्लिम कलाकार बाली व सती अनसुइया का पात्र निभा रहे हैं। कहीं लीला को भव्य बनाने के लिए मार्गदर्शन की जिम्मेदारी भी कंधों पर संभाल रखी है। इन दिनों इनकी बोलचाल का तरीका भी बदल गया है, पहनावा साधारण हो गया है।
हुमा बनती हैं गुरू मां और सती अनसुइया
श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी की ''कथा रामराज की में हुमा कमाल गुरु मां, सती अनसुइया व त्रिजटा का पात्र निभा रही हैं। हुमा पांच साल से रामलीला में अभिनय कर रही हैं। घर में रामायण देखती हैं, तीन बेटे हैं उन्हें भी संस्कारित करती हैं। इसी लीला में अलीमुद्दीन बाली का पात्र निभा रहे हैं। पेशे के ड्राइवर अलीमुद्दीन भी पांच साल से रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। वह बताते हैं कि रामलीला में अभिनय करना उनके लिए गौरवपूर्ण है। मन व तन हर्षित है। भाव में विनम्रता, वाणी में लचीलापन व पहनावा साधारण हो गया है।
रामलीला के पर्याय हैं इकबाल
थियेटर के वरिष्ठ कलाकार सैयद इकबाल अहमद 41 साल से रामलीला से जुड़े हैं। श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी में सात साल तक केवट का पात्र निभाने वाले इकबाल मौजूदा समय श्रीकटरा रामलीला कमेटी की ''संपूर्ण रामायण की रामकथा के मंचन में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। लीला से पहले कलाकारों को अभिनय की बारीकियां सिखाते हैं। लीला के दौरान मंच के नीचे बैठकर उसे देखते हैं। इकबाल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लीला खत्म होने के बाद कलाकार व उससे जुड़े लोग उनका पांव छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
श्रीराम का काम जाति-धर्म से ऊपर
इकबाल भी सबसे पूरी आत्मीयता से मिलकर उनका हौसला बढ़ाते हैं। कहते हैं रामलीला का आकर्षण, भव्यता का हिस्सा बनना हर व्यक्ति के लिए गौरवपूर्ण क्षण होता है। इसमें धर्म आड़े नहीं आता, श्रीराम का काम जाति-धर्म से ऊपर है। निर्देशक सुबोध सिंह कहते हैं कि इकबाल व रामलीला एक-दूसरे के पर्याय हैं। जो कभी अलग नहीं हो सकते।
हो गए हैं शाकाहारी
रामलीला में अभिनय करने वाले मुस्लिम शाकाहारी हो गए हैं। इनके घरों में मांस व अंडा नहीं बनता। न ही मंचन के दौरान कहीं बाहर खाते हैं। रामलीला के लिए चुने जाने से लीला होने तक सभी शाकाहारी भोजन करते हैं। वाणी से असत्य न निकले उसका विशेष ध्यान देते हैं। एक-दूसरे का अभिवादन ''प्रणाम बोलकर करते हैं।
रथ हांकते हैं रईस, कपड़ा धुलने का काम नवाब के पास
श्रीकटरा रामलीला कमेटी के महामंत्री गोपालबाबू जायसवाल बताते हैं कि श्रीराम दल व राम बारात में भगवान के रथ को रईस हांकते हैं। बैंडबाजा के अधिकतर कलाकार मुस्लिम हैं। सभी श्रद्धाभाव से अपना काम करते हैं। बकौल गोपालबाबू भगवान का कपड़ा धुलने का काम नवाब नामक मुस्लिम व्यक्ति करते हैं। यह काम 50 साल से पूरी श्रद्धा से कर रहे हैं।