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कॉलोनी नहीं होने से परेशानी झेल रहे रेलवे कर्मचारी, देर रात डयूटी के बाद घर पहुंचने पर मकान मालिक जताते हैं एतराज

प्रयागराज संगम के कोचिंग केयर सेंटर में करीब 130 कर्मचारियों की तैनाती है। ज्यादातर कर्मचारी जिले के बाहर के रहने वाले हैं। ऐसे में रेलवे कॉलोनी नहीं होने से परिवार के साथ रहने में दिक्कत हो रही है। प्रतियोगी छात्रों को ही किराए पर कमरा दिया जाता है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 08:00 AM (IST)
कॉलोनी नहीं होने से परेशानी झेल रहे रेलवे कर्मचारी, देर रात डयूटी के बाद घर पहुंचने पर मकान मालिक जताते हैं एतराज
कर्मचारी इतनी समस्या से रूबरू हो रहे हैं लेकिन विभाग है कि शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दे रहा।

प्रयागराज, जेएनएन। रेलवे कर्मचारियों के लिए प्रयागराज संगम (प्रयागघाट) में सरकारी कॉलोनी की व्यवस्था नहीं है। इससे उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। किराए पर निजी आवास जल्दी नहीं मिलते है। यदि मिले भी तो महंगा पड़ता है। वे इतनी समस्या से रूबरू हो रहे हैं लेकिन विभाग है कि शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दे रहा है।

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प्रयागराज संगम के कोचिंग केयर सेंटर में करीब 130 कर्मचारियों की है तैनाती

प्रयागराज संगम के कोचिंग केयर सेंटर में करीब 130 कर्मचारियों की तैनाती है। ज्यादातर कर्मचारी जिले के बाहर के रहने वाले हैं। ऐसे में रेलवे कॉलोनी नहीं होने से परिवार के साथ रहने में दिक्कत हो रही है। कई रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि दारागंज व आसपास के क्षेत्र में प्रतियोगी छात्रों को ही किराए पर कमरा दिया जाता है। देर रात ड्यूटी करने के बाद घर पहुंचने पर अंदर प्रवेश की अनुमति भी नहीं होती है। इस वजह से दिक्कत झेल रहे रेल कर्मचारियों ने उनके लिए आवास की व्यवस्था कराने की मांग उठाई है। कर्मचारी सोनू अवस्थी का कहना है कि बांदा से आया तो किराए पर कमरा लेकर रह रहा हूं। हालांकि मेरे मकान मालिक को देर रात आने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, कमरा तलाशते वक्त देर रात ड्यूटी की जानकारी देने पर कई लोग कमरा देने से इन्कार कर रहे थे। शिवशंकर के मुताबिक, मूलरूप से फतेहपुर का रहने वाला हूं। परिवार के साथ कमरा लेकर रहना महंगा पड़ रहा है। रेलवे कॉलोनी मिलने से काफी सहूलियत मिलेगी। विभाग को कॉलोनी संबंधी मांग पर ध्यान देने चाहिए।


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