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Purushottam Mas 2020 : भगवान विष्‍णु को स‍मर्पित इस मास में शिवजी की भी करें आराधना, अभिषेक का है महत्व

Purushottam Mas 2020 इस बार फैली कोरोना वायरस महामारी को भगाने के लिए प्रयागराज के बहरिया में कुश की जड़ को गंगा जल में मिलाकर भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग पर अभिषेक किया जा रहा है जिससे महामारी अपने आप शिथिल हो जाए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 10:32 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 10:32 AM (IST)
Purushottam Mas 2020 : भगवान विष्‍णु को स‍मर्पित इस मास में शिवजी की भी करें आराधना, अभिषेक का है महत्व
पुरुषोत्तम मास में भगवान शिव की आराधना प्रयागराज में भक्‍त कर रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। वैसे तो पुराणों में अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित कहा जाता है। इसे भगवान शिव की भी आराधना एवं अनुष्ठान के लिए भी जाना जाता है। विगत कई पुरुषोत्तम मास में बहरिया विकास खंड के ग्राम पंचायत सोपरावारी में नागेश शुक्ल द्वारा विश्व कल्याण के लिए एक माह का भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग बनाकर प्रतिदिन अभिषेक किया जाता रहा है।

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कोरोना वायरस संक्रमण दूर करने को शिवलिंग का हो रहा अभिषेक

इस वर्ष फैली कोरोना वायरस महामारी को भगाने के लिए नागेश शुक्ल द्वारा कुश की जड़ को गंगा जल में मिलाकर भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग पर अभिषेक किया जा रहा है जिससे महामारी अपने आप शिथिल हो जाए। यह बात बताते हुए पंडित अशोक पांडेय ने कहा कि भगवान भोलेनाथ की महिमा बहुत ही अपार है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष पूजा एवं अनुष्ठान के लिए भी जाना जाता है। धर्म प्रधान इस देश में कोई भी महामारी विकराल रूप नहीं ले सकती। पंडित अशोक पांडेय ने कहा कि वैसे तो वे हर पुरुषोत्तम मास में विश्व कल्याण के लिए अपने यजमान नागेश शुक्ल से अभिषेक कराते रहे हैं। वहीं इस पुरुषोत्तम मास में भगवान शिव का अभिषेक कोरोना महामारी को भगाने के लिए किया जा रहा है। ग्राम प्रधान अभिषेक शुक्ल भी इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं।

भक्‍त भगवान शिव का कर रहे जलाभिषेक

पुरुषोत्तम मास में भक्त भगवान शंकर का जलाभिषेक पूजा अर्चना के अतिरिक्त घर या मंदिरों में यथाशक्ति रुद्राभिषेक का आयोजन भी करते हैं। फूलपुर तहसील इलाके में सहसों के राम जानकी मंदिर परिसर में स्थित शिव मंदिर, बस महुआ मंदिर तथा बाबूगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर में भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक के साथ फूल-मालाओं से भव्य श्रृंगार कर मनोरथ पूर्ति के लिए पूजन-अर्चन कर रहे हैं।

कष्टों से मुक्ति को भगवान शिव के साथ पीपल की करें पूजा : आचार्य दिनेश

सहसों के बसमहुआ गांव में चिंतामणि शुक्ल व अन्‍य भक्‍तों ने पार्थिव शिवलिंग का विधि विधान से रुद्राभिषेक किया। इस मौके पर आचार्य पंडित दिनेश तिवारी ने शिवजी की महिमा का बखान किया। उन्‍होंने शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना का महत्व बताते हुए कहा कि पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास होने के कारण इनकी पूजा शनिवार के दिन अवश्य करनी चाहिए। इसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है।

यह है पीपल के वृक्ष की विशेषता

श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने पीपल के वृक्ष की विशेषता बताते हुए कहा है कि पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी और अग्रभाग में भगवान शिव जी साक्षात रुप में विराजित हैं। तने में केशव, शाखा में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है। इसलिए सभी व्यक्ति को विशेष तौर पर शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की पूजा एवं दीपक अवश्य जलानी चाहिए। इसके अतिरिक्त और कई लाभ जैसे शनि की साढ़ेसाती, ढैया तथा सभी कष्टों, हर प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए भी जलाभिषेक कर पूजा, अर्चना, धूप, दीप करना चाहिए।


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