आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा, किसान रहे सजग, कृषि वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट Prayagraj News
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है। उन्हें सलाह दी जा रही है कि वह मैन्कोजेब या प्रोपीनेब युक्त फफूंदनाशक दवा का छिड़काव कर सकते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम ने पश्चिमी यूपी में आलू की फसल में झुलसा बीमारी लगने का पूर्वानुमान लगाया है। इसको लेकर पूर्वी यूपी में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर आलू की फसल में झुलसा बीमारी लगने की संभावना है। इसको लेकर कृषि विभाग ने किसानों को सजग रहने को कहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है। उन्हें सलाह दी जा रही है कि वह मैन्कोजेब या प्रोपीनेब युक्त फफूंदनाशक दवा का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा जिन फसलों में यह बीमारी लग चुकी है उनमें किसी भी फफूंदनाशक साईमोक्सेनिल और मैन्कोजेब का तीन किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से एक हजार लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इसे दस-दस दिन में दोहराते रहें। साथ किसानों को ध्यान देना होगा कि एक ही फफूंदनाशक दवा का बार-बार छिड़काव न करें।
आम की फसल को कीट से बचाएं
आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने को लेकर यह आवश्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने के लिए उचित प्रबंधन किया जाए। इस माह में गुजिया एवं मिज कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है। इससे फसल को काफी क्षति पहुंचाती है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से बागवानों को बताया गया कि गुजिया कीट जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुचाते हैं। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जुताई व गुड़ाई की जाए तथा कीट को पेड़ों पर चढऩे से रोकने के लिए आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी. की ऊंचाई पर पालीथिन तने के चारों ओर लपेटना चाहिए।