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प्रोफेसर आरबी सिंह ने कहा-वर्तमान की चुनौतियों को समझने के लिए भूगोलवेत्‍ताओं की भूमिका अहम Prayagraj News

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग की ओर से तरफ से प्रोफ़ेसर शिवसागर ओझा स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इसमें देश-विदेश से भूगोलवेत्‍ता शामिल हुए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 03:07 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 03:07 PM (IST)
प्रोफेसर आरबी सिंह ने कहा-वर्तमान की चुनौतियों को समझने के लिए भूगोलवेत्‍ताओं की भूमिका अहम Prayagraj News
प्रोफेसर आरबी सिंह ने कहा-वर्तमान की चुनौतियों को समझने के लिए भूगोलवेत्‍ताओं की भूमिका अहम Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। प्रोफ़ेसर शिवसागर ओझा स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग की ओर से आयोजन किया गया। इस मौके पर देश विदेश के लगभग 4000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और प्रोफेसर शिवसागर ओझा की स्मृतियों को साझा किया।

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टोक्यो विश्वविद्यालय जापान के प्रोफेसर टाकाशी ओगुची ने विचार रखे

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय भौगोलिक संघ के महासचिव प्रोफ़ेसर आरबी सिंह थे। उन्‍होंने कहा की वर्तमान की चुनौतियों को समझने के लिए भूगोलवेत्‍ताओं की भूमिका अहम होती है। नियोजन की संस्तुतियों मैं भूगोलवेत्ता की भूमिका नकारा नहीं जा सकता। विशिष्ट अतिथि टोक्यो विश्वविद्यालय जापान के विश्व विख्यात प्रोफेसर टाकाशी ओगुची ने भू आकृति समस्याओं के अध्ययन एवं मानचित्र में उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों की अहम भूमिका और दूर संवेदन तकनीकी के विकास की बात कही। कहा कि भौगोलिक सूचना प्रणाली का अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए संसाधनों का मानचित्र या विश्व की जितनी चुनौतियां हैं। उनके मानचित्र और उनकी व्याख्या में जियो स्पेशल टेक्नोलॉजी का अहम रोल है।

प्रोफेसर शहाद ने भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति का वर्णन किया

प्रख्यात भूगोलवेत्‍ता प्रोफ़ेसर शहाब फजल भी थे। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उन्‍होंने भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति और भूमि रूपांतरण के स्वरूप का चित्रण किया। इस कार्यक्रम को लगभग 4287 लोगों ने भाग लिया कार्यक्रम के समन्वयक मे विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग प्रोफेसर एआर सिद्दीकी थे। सह समन्वयक प्रोफेसर अनुपम पांडे और कार्यक्रम सचिव डॉक्टर अश्वजीत चौधरी मौजूद रहे। देश विदेश के विख्यात शिक्षकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शोध छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे। अंत में प्रो मौसमविद शिवसागर ओझा को श्रद्धांजलि दी गई और मौन रहकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।


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