मुस्लिम विश्वविद्यालयों की तरफ था प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का झुकाव Prayagraj News
वह अक्सर इस्लाम पर लेक्चर देने विदेशों में आयोजित कांफ्रेंस में जाते रहे। मुस्लिम देशों में अपना वक्त बिताते थे। वह विभाग में पढ़ाई के अलावा किसी शिक्षक सेज्यादा बात नहीं करते थे।
प्रयागराज,जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का मुस्लिम विश्वविद्यालयों, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की तरफ झुकाव अधिक था। यही वजह है कि वह इविवि में अध्यापन के दौरान किसी से ज्यादा मतलब भी नहीं रखते थे।
जमाती प्राफेसर ने जेएनयू से किया है शोध
मूलरूप से मऊ जनपद के दक्षिण टोला कोतवाली स्थित बुलाकी का पूरा निवासी प्रोफेसर मो. शाहिद वर्ष 1988 में इविवि के राजनीति विज्ञान विभाग में लेक्चरर नियुक्त हुए थे। 2003 में जेएनयू से पीएचडी की उपाधि हासिल करने के बाद वह 2004 में रीडर के पद पर पदोन्नत हुए थे। इसके बाद 2015 में प्रोफेसर नियुक्त किए गए। साउथ एशियन पॉलिटिकल सिस्टम, इंटरनेशनल रिलेशन, इसलामिक पॉलिटिकल थॉट, इस्लामिक डायसपोरा इन द वल्र्ड के क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। अब तक वह कई विदेश यात्राएं कर चुके हैं।
इस्लाम पर लेक्चर देने अक्सर जाते थे विदेश
वह अक्सर इस्लाम पर लेक्चर देने विदेशों में आयोजित कांफ्रेंस में जाते रहे हैं। मुस्लिम देशों में अपना वक्त बिताते थे। वह विभाग में पढ़ाई के अलावा किसी शिक्षक से भी ज्यादा बात नहीं करते थे। इविवि सूत्रों की मानें तो मुस्लिम छात्र-छात्राओं के प्रति उनका लगाव अधिक रहता था। यदि समुदाय का कोई शोधार्थी आता तो वह उसे फौरन ले लेते थे। इसके अलावा एएमयू, जेएनयू और जम्मू विवि में इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। वहां के शिक्षकों को अक्सर वह बुलाते भी थे। प्रो. शाहिद के बड़े भाई प्रो. एसए अंसारी वाणिज्य विभाग में और भांजा डॉ. कासिफ उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
इविवि को जिला प्रशासन की सूचना का इंतजार
प्रोफेसर मो. शाहिद पर कार्रवाई को लेकर अब इविवि प्रशासन को जिला प्रशासन के आधिकारिक सूचना का इंतजार है। इविवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. शैलेंद्र मिश्र ने बताया कि सर्विस लॉज में कहा गया है कि अपराध के बारे में सूचना मिलने के 48 घंटे बाद कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा इविवि के एक्ट में कहा गया है कि निलंबन का अधिकार केवल कार्य परिषद को है। वहीं, ऑर्डिनेंस में स्पष्ट है कि यदि संज्ञेय अपराध है तो आधिकारिक तौर पर सूचना मिलने के 48 घंटे बाद डीम्ड सस्पेंशन किया जा सकता है। इसके लिए कार्य परिषद से अनुमति लेनी पड़ती है।