व्यावसायिक शिक्षकों को पांच माह से वेतन नहीं, खाने के लाले
जिले के 18 माध्यमिक विद्यालयों में मानदेय पर 60 शिक्षक नियुक्त हैं। संबंधित विद्यालयों व डीआइओएस कार्यालय के बाबुओं की मनमानी से उन्हें पांच माह से वेतन नहीं मिल सका है।
प्रयागराज : सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक और प्रधानाचार्य को हर माह पगार न मिले तो वे धरना-प्रदर्शन से लेकर हर हथकंडे अपनाने को तैयार रहते हैैं। वहीं यही प्रधानाचार्य अपने विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा के अध्यापकों को नियमित रूप से मानदेय का भुगतान नहीं करा रहे। इन शिक्षकों को पिछले पांच माह से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। यह हाल तब है जब विद्यालयों को बिल बनाकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में भेजना है और वहां से मानदेय की रकम सीधे उनके बैैंक खातों में भेज दी जाती है। प्रधानाचार्यों के इस रवैये पर डीआइओएस ने भी नाराजगी जताई है।
कई विषयों को पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षकों का अभाव
जिले के सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा फोटोग्राफी, आटर््स, क्राफ्ट समेत अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में इन विषयों की पढ़ाई के लिए ज्यादातर शिक्षकों की नियुक्ति मानदेय पर है। जिले के 18 सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों के 60 शिक्षक नियुक्त हैैं। शिक्षकों को प्रतिमाह 15000 रुपये मानदेय निर्धारित है। इन शिक्षकों में ज्यादातर को अक्तूबर 2018 के बाद से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। इसकी वजह से पहले उनकी दीपावली फीकी रह गई और अब होली के पहले भी मानदेय के भुगतान की कोई संभावना नहीं नजर आ रही है। शिक्षक इसके लिए डीआइओएस कार्यालय के बाबुओं को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
उप्र व्यवसायिक शिक्षक संघ की प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा
उत्तर प्रदेश व्यावसायिक शिक्षक संघ की प्रदेश उपाध्यक्ष शिवानी यादव का कहना है कि विद्यालयों से मानदेय का बिल बना कर भेजा जाता है लेकिन डीआइओएस कार्यालय में बाबुओं की मनमानी के कारण भुगतान में विलंब होता है। बाबू जानबूझ कर बिल को रोके रखते हैैं। पिछले पांच माह से शिक्षक डीआइओएस कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैैं लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विद्यालय के बिल भेजने के बाद प्रधानाचार्य भी कुछ करने की स्थिति में नहीं हैैं।
विद्यालयों के बाबू मानदेय का बिल भेजने में करते हैं विलंब : आरके विश्वकर्मा
जिला विद्यालय निरीक्षक आरके विश्वकर्मा का कहना है कि विद्यालयों के बाबू अक्सर मानदेय का बिल भेजने में देरी करते हैैं। इन शिक्षकों के लिए बजट निर्धारित है। विद्यालयों के बाबू प्रधानाचार्य से प्रमाणित बिल नियमित रूप से भेजे तो उसे स्वीकृत कर मानदेय की रकम उनके बैैंक खातों में भेज दिया जाए। अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि प्रधानाचार्य अपने, नियमित शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों के वेतन बिल के साथ व्यावसायिक शिक्षकों के मानदेय का भी बिल भेजे। ऐसा न होने पर प्रधानाचार्य का वेतन रोका जाएगा।