पॉलीथिन का बेहतर विकल्प साबित होंगे मूंज से बने उत्पाद Prayagraj News
अब पॉलीथिन से मूंज का उत्पाद लड़ेगा। जी हां यह संभव होगा पॉलीथिन के विकल्प के रूप में मूंज के बने झोले बाजार में आने से। यह काफी टिकाऊ भी रहेगा।
प्रयागराज, जेएनएन: योगी सरकार ने सूबे में पॉलीथिन को प्रतिबंधित कर दिया है, फिर भी इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। नगर निगम के तमाम कोशिशों के बाद भी इस पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। हालांकि, अब पॉलीथिन से मूंज का उत्पाद लड़ेगा। जी, हां यह संभव होगा, पॉलीथिन के विकल्प के रूप में मूंज के बने झोले बाजार में आने से। यह काफी टिकाऊ भी रहेगा।
पॉलीथिन शहर के लिए बड़ी समस्या बन गई है। इसके आवक और इस्तेमाल पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है। शहर के मॉल और बड़े शोरूम में भले पॉलीथिन के विकल्प के तौर पर कैरी बैग इस्तेमाल हो रहे हैं, लेकिन फल, सब्जियों, जनरल स्टोर्स समेत सामान्य दुकानों में पॉलीथिन का प्रयोग जारी है। उपायुक्त उद्योग अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि उत्पादक मूंज से पर्स एवं अन्य सामग्रियां बनाते हैं। उन्हें टांगने वाले झोले तैयार करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित होने का मुख्य मकसद ही उत्पादकों को तरह-तरह की खूबसूरत डिजाइनें तैयार कराना होगा।
इससे होने वाली परेशानी:
पॉलीथिन सड़ती नहीं है। इससे नाले, नाली चोक हो जाते हैं। मवेशियों के पॉलीथिन खाने से उनके लिए भी समस्या बन जाती है, जो उनके पेट में जमा हो जाती है। इससे दूध देने की क्षमता कम होती है और बाद में मवेशी की मौत तक हो जाती है। पॉलीथिन के इन खतरों के मुकाबले मूंज के बने झोलो को बेहतर और टिकाऊ विकल्प के रूप में माना जा रहा है। इससे मूंज से जुड़े उत्पादकों के लिए बड़ा बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। उद्योग विभाग ने भी मूंज उत्पादकों को झोले बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए जल्द ही कैंप लगाने का निर्णय लिया है।