Move to Jagran APP

इलाहाबाद में किराए की एंबुलेंस के सहारे सांसों की बंधी डोर

कहने को 102 नंबर की 51 व 108 नंबर की 30 एंबुलेंस जिले में संचालित हैं, दिक्कत यह है कि इन्हें बुक करने के लिए अक्सर कॉल नहीं लगती।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Thu, 12 Oct 2017 12:26 PM (IST)Updated: Thu, 12 Oct 2017 12:26 PM (IST)
इलाहाबाद में किराए की एंबुलेंस के सहारे सांसों की बंधी डोर
इलाहाबाद में किराए की एंबुलेंस के सहारे सांसों की बंधी डोर

इलाहाबाद (जागरण संवाददाता)। मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने का प्रदेश सरकार चाहे जितना दावा करे पर असलियत इससे इतर है। शहर के सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस तक की व्यवस्था नहीं है, जो हैं भी वह वीआइपी ड्यूटी में लगी रहती हैं। नतीजा, अस्पताल परिसर में हर समय निजी एंबुलेंस संचालकों का जमावड़ा रहता है जो अधिक किराया लेने के साथ आक्सीजन के नाम पर भी मोटी रकम वसूलते हैं।

loksabha election banner

मंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में हजार बेड से अधिक हैं। प्रतिदिन पांच हजार के लगभग मरीजों की ओपीडी होती है, जबकि एंबुलेंस मात्र तीन हैं। तेजबहादुर सप्रू चिकित्सालय बेली में दो व मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय काल्विन में सिर्फ एक एंबुलेंस है।

कहने को 102 नंबर की 51 व 108 नंबर की 30 एंबुलेंस जिले में संचालित हैं। दिक्कत यह है कि इन्हें बुक करने के लिए अक्सर कॉल नहीं लगती। यह मुश्किल भी निरंतर बनी हुई है। ऐसे में मरीज अगर इनके भरोसे बैठा रहे तो उसे जान से हाथ धोना पड़ सकता है। इसी लचर सरकारी व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं निजी एंबुलेंस संचालक।

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय व सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय के अंदर निजी एंबुलेंस हर समय घूमते मिल जाती हैं। इसके अलावा तेजबहादुर सप्रू चिकित्साल बेली, मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय काल्विन, जिला महिला चिकित्सालय डफरिन में भी यही स्थिति है।

मरीज को अगर रेफर होना है या अस्पताल से घर जाना है तो निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि, इनमें सुविधा के नाम पर सिर्फ आक्सीजन मिलेगा, उसका भी अतिरिक्त पैसा देना होगा। पैरामेडिकल स्टाफ मरीज को खुद साथ ले जाना होता है। मरीज की जान बचे या न बचे उसकी जिम्मेदारी एंबुलेंस संचालक की नहीं होती।

अस्पताल प्रशासन से साठगांठ: सरकारी अस्पताल प्रशासन से निजी एंबुलेंस संचालकों की साठगांठ रहती है। यही कारण है कि अधिकतर मरीजों को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलती। इसके चलते उन्हें निजी एंबुलेंस लेनी पड़ती है।

यह भी पढ़ें: डॉ. लोहिया की पुण्यतिथि समारोह में साथ-साथ मुलायम व अखिलेश, नहीं आए शिवपाल

12 से 15 रुपये प्रति किलोमीटर किराया: एसी एंबुलेंस का किराया 12 से 15 रुपये तक प्रति किलोमीटर है। एसआरएन अस्पताल से सरकारी एंबुलेंस का किराया आठ रुपये प्रति किलोमीटर है। बीपीएल कार्ड धारकों के लिए मुफ्त सेवा है। वहीं बेली में 150 रुपये में शहरी क्षेत्र में 50 किलोमीटर की दूर तक एंबुलेंस भेजने की सुविधा है।

यह भी पढ़ें: सीपैट काउंसिलिंग कल से, बिना नुकसान सीट अपग्रेडेशन का मौका


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.