Allahabad University : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति की नियुक्ति पर अंतिम निर्णय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति के लिए सर्च कमेटी ने पांच शिक्षविदों का पैनल तैयार किया है। पैनल को शिक्षा मंत्रालय को भेजा गया है। राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद अंतिम निर्णय लेंगे।
प्रयागराज, जेएनएन। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो और कोई पेच न फंसा तो सितंबर के दूसरे सप्ताह तक इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) को नया स्थायी कुलपति मिल जाएगा। इसके लिए कवायद भी जोरों पर है। सर्च कमेटी ने पांच शिक्षाविदों का पैनल बनाकर शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद इस पर अंतिम मुहर लगाएंगे। राष्ट्रपति इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के विजिटर हैं।
सर्च कमेटी ने शिक्षकों का नाम बंद लिफाफे में शिक्षा मंत्रालय को भेजा
सर्च कमेटी की तरफ से इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी होने के बाद काफी विचार-विमर्श के बाद पांच शिक्षकों का पैनल तैयार किया गया। इस पैनल में अकेले इविवि के तीन शिक्षकों ने जगह बनाई है। इसमें से एक शिक्षक इविवि में ही तैनात हैं, जबकि दो अन्य शिक्षकों की तैनाती दूसरे संस्थान में है। इसके अलावा एक शिक्षक शिमला विश्वविद्यालय और एक पुणे के शिक्षण संस्थान से जुड़े हैं। सर्च कमेटी ने इन शिक्षकों का नाम बंद लिफाफे में शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया है। अब राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद इस ओर अंतिम मुहर लगाएंगे।
बाहरी बनाम स्थानीय की अटकलें भी
लिफाफा बन्द होने के साथ अटकलों का दौर भी अब तेज हो गया है। इस वक्त चर्चा केवल इस बात की है कि कुर्सी स्थानीय होगी या बाहरी? अब यदि केंद्रीय विवि का दर्जा मिलने के बाद से देखा जाए तो वर्ष 2005 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो. राजन हर्षे फिर 2010 में मुंबई आइआइटी के प्रो. एके सिंह ने कुर्सी संभाली। करीब तीन साल बाद विवादों में घिरने के बाद प्रो. एके सिंह ने इस्तीफा दिया तो प्रो. एनआर फारूकी और प्रो. ए सत्य नारायण ने कार्यवाहक कुलपति की जिम्मेदारी निभाई।
विवादों के चलते हांगलू ने 2019 में इस्तीफा दिया था
2015 में पश्चिम बंगाल स्थित कल्याणी विश्वविद्यालय के प्रो. रतन लाल हांगलू ने जिम्मा संभाला पर वह भी विवादों के चलते 31 दिसंबर 2019 को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद प्रो. केएस मिश्र, प्रो. पीके साहू फिर प्रो. आरआर तिवारी ने बतौर कार्यवाहक कुलपति कुर्सी सम्भाली। अब हर किसी की निगाहें केवल इसी पर टिकी हैं कि अगला कुलपति स्थानीय होगा या बाहरी?