Allahabad University में 'युवाओं के तराने', क्रांतिकारी गीतों और कविता की बही रस गंगा
दिशा छात्र संगठन की शिवा ने कहा कि आज साहित्य कला संस्कृति की दुनिया में नकलीपन और फूहड़ता छाया हुआ है। समाज से विमुख होकर केवल अपने सुख के लिए साहित्य और संगीत का सृजन करने का चलन बढ़ रहा है। युवा पूरे समाज को नई दिशा दिखा सकते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में क्रांतिकारी गीतों और कविता पाठ की रसधारा बही। दिशा छात्र संगठन की ओर से प्रस्तुति का कार्यक्रम 'युवाओं के तराने' आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के बरगद लॉन में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए अपनी स्वरचित कविताओं तथा अपने पसंदीदा कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए गए।
छात्र-युवा पूरे समाज को एक नई दिशा दिखा सकते हैं : शिवा
कार्यक्रम की शुरुआत 'अभी लड़ाई जारी है' गीत के साथ की गई। दिशा छात्र संगठन की शिवा ने कहा कि आज साहित्य, कला, संस्कृति की दुनिया में नकलीपन और फूहड़ता छाया हुआ है। समाज से विमुख होकर केवल अपने सुख के लिए साहित्य और संगीत का सृजन करने का चलन बढ़ रहा है। ऐसे दौर में छात्र-युवा पूरे समाज को एक नई दिशा दिखा सकते हैं। यह कार्यक्रम ऐसे युवाओं को मंच प्रदान करने की एक कोशिश है, जो समाजोन्मुख साहित्य-संगीत का सृजन करके समाज में हलचल पैदा कर सकें। कार्यक्रम के दौरान 'चलो फरि से मुस्कुराए, 'आ गए यहां जवां कदम', 'जिंदगी ने एक दिन कहा कि तुम लड़ो' आदि क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति की गई। इस दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। सभी ने तालियों के माध्यम से कवियों का उत्साहवर्द्धन किया।
इन्होंने पेश की रचनाएं
इस दौरान कार्यक्रम में नीशु, अंजलि, शिवा, चंद्रप्रकाश, आसिफ़, प्रिया, नेहा, दिव्यांशु, सूरज, अंशुरीश, मकरध्वज, सौम्या, धर्मराज, अमित, प्रसेन, विकास, मृदुल, तेज प्रताप, रजनीश, अंकित आदि ने स्वरचित कविताओं तथा निराला, मुक्तिबोध, फैज, नाजिम हिकमत, पाब्लो नेरुदा, कात्यायनी आदि की कविताओं का पाठ किया।