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वार्षिक रिटर्न के लिए नए सिरे से करनी होगी तैयारी Prayagraj News

दरअसल शुरू में वर्ष २०१७-१८ के वार्षिक रिटर्न भरने की तिथि ३१ दिसंबर-२०१८ थी। बाद में कई तिथियां बदली गईं। पिछली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस तिथि को बढ़ाकर ३० नवंबर किया गया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 05:44 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 05:44 PM (IST)
वार्षिक रिटर्न के लिए नए सिरे से करनी होगी तैयारी Prayagraj News
वार्षिक रिटर्न के लिए नए सिरे से करनी होगी तैयारी Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन । वार्षिक रिटर्न दाखिल करने वाले फार्म में बदलाव कर देने से कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। फार्म का नया प्रारूप जीएसटी पोर्टल पर १० दिसंबर तक उपलब्ध होगा। ऐसे में वार्षिक रिटर्न भरने के लिए कारोबारियों को अब नए सिरे से तैयारी करनी पड़ेगी। जिन कारोबारियों ने रिटर्न फाइल कर दिया है, नए प्रारूप के आने पर उन्हें भी फिर से आंकड़े जुटाने पड़ेंगे।

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जीएसटीआर-९ फार्म में बदलाव का पारूप ऑफलाइन टूल पोर्टल पर 10 तक

दरअसल, शुरू में वर्ष २०१७-१८ के वार्षिक रिटर्न भरने की तिथि ३१ दिसंबर-२०१८ थी। बाद में कई तिथियां बदली गईं। पिछली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस तिथि को बढ़ाकर ३० नवंबर किया गया था। जिसे कुछ दिन पहले बढ़ाकर ३१ दिसंबर कर दिया गया था। वहीं, अब जीएसटीएन नेटवर्क बता रहा कि सरकार ने जीएसटीआर-९ फार्म में बदलाव किया है। इसका प्रारूप और ऑफलाइन टूल पोर्टल पर १० दिसंबर तक उपलब्ध होगा। ऐसी दशा में जो कारोबारी वर्तमान प्रारूप के मुताबिक अपने आंकड़े इकट्ठा करके रिटर्न दाखिल कर रहे हैं अथवा कर चुके हैं। उन्हें भी नए सिरे से आंकड़े जुटाने पड़ेंगे। कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि बड़े-बड़े विशेषज्ञ एक साल से ज्यादा समय में भी रिटर्न का एक प्रारूप तय नहीं कर सके, जबकि एक दिन विलंब से रिटर्न फाइल करने पर व्यापारियों से तुरंत विलंब शुल्क और ब्याज ले लिया जाता है। उनका कहना है कि सरकार व्यापार को बढ़ाने के बजाय अपनी ऊर्जा जीएसटी के नियमों को समय से पूरा करने में ही खपा रही है।

तीन वर्ष के वार्षिक रिटर्न को खत्म कर दिया जाए:

कैट के अध्यक्ष का कहना है कि वर्ष २०१७-१८, २०१८-१९ और २०१९-२० के लिए वार्षिक रिटर्न को समाप्त कर दिया जाए। एक अप्रैल २०१९ से पूर्व वार्षिक रिटर्न का नया प्रारूप जारी किया जाए, जिसके अनुसार व्यापारी अपने खातों का रख-रखाव कर सके।


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