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अगर ऐसा हो गया तो जिले के 90 हजार किसानों को मिलेगा लाभ Prayagraj News

लघु एवं सीमांत किसानों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी जिससे कम लागत में किसानों को ज्यादा मुनाफा मिल सके।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 08:26 AM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 08:26 AM (IST)
अगर ऐसा हो गया तो जिले के 90 हजार किसानों को मिलेगा लाभ Prayagraj News
अगर ऐसा हो गया तो जिले के 90 हजार किसानों को मिलेगा लाभ Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। सरकार की यह योजना यदि फलीभूत हो गई तो फिर किसानों की बल्‍ले-बल्‍ले रहेगी।  जिले के 90 हजार इससे लाभान्वित होंगे। ऐसा इसलिए कि जिले में लगभग पांच लाख बीघा ऊसर और बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाने की कवायद चल रही है। वहीं करीब एक लाख बीघा जलभराव वाले क्षेत्रों तथा डेढ़ लाख बीघा परती जमीन को भी खेती करने के लिए तैयार करने की तैयारी की जा रही है। यह काम मनरेगा के बजट से कराने की योजना है।

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किसानों और किसान मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत होंगे

 गरीबी खत्म करने को गांवों में सबसे पहले किसानों और किसान मजदूरों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कदम उठाया जा रहा है। लघु एवं सीमांत किसानों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना पहली प्राथमिकता होगी, जिससे कम लागत में किसानों को ज्यादा मुनाफा मिले। वहीं ऊसर और बंजर भूमि को कृषि, बागवानी एवं वानिकी के लिए तैयार कराने की योजना है। जनपद में लगभग पांच लाख ऊसर और बंजर भूमि है जिसका उपचार कर कृषि योग्य बनाया जाएगा। साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों काे ठीक करके फसल के उत्पादन को बढ़ाने का भी लक्ष्‍य रखा गया है।

डीडीओ ने कहा

इस संबंध में जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) अशोक कुमार मौर्य ने बताया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की केंद्र सरकार की मंशा है। इसके लिए यह आवश्यक है कि लागत में कमी लाई जाए और उत्पादन में वृद्धि की जाए। मनरेगा के तहत किसानों को एएसी परिसंपत्तियों का लाभ दिया जाएगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। योजना के तहत व्यक्तिगत भूमि पर भूमि विकास के कार्य कराए जाएंगे। बंजर और ऊसर जमीन के विकास के अलावा व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। प्रत्येक गांव से नेडप और वर्मी कंपोस्ट के लिए तीन लाभार्थियों का चयन होगा, जिससे उन्हें लाभ मिल सके। इसी तरह सोकपिट के लिए तीन और पशु आश्रय (बकरी, गाय व मुर्गी पालन) के तीन लाभार्थी हर गांव से चयनित होंगे, जिन्हें कर्ज भी दिया जाएगा। इसी तरह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्य के लिए भी हर गांव से दो लाभार्थियों का चयन किया जाएगा।


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