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प्रतापगढ़ में भी पहल, इस नई व्यवस्था से केंद्र प्रभारी व मिल संचालक मनमानी नहीं कर सकेंगे

प्रतापगढ़ में क्रय केंद्र पर धान के उठान के में केंद्र प्रभारी व राइस मिल संचालक को खाद्य विभाग के एप पर डिजिटल हस्ताक्षर करना होगा। इससे धान का गबन नहीं होने पाएगा। अगर कहीं गड़बड़ी हुई तो वह पकड़ में आ जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 04:58 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 04:58 PM (IST)
प्रतापगढ़ में भी पहल, इस नई व्यवस्था से केंद्र प्रभारी व मिल संचालक मनमानी नहीं कर सकेंगे
प्रतापगढ़ में भी धान व गेहूं के उठान में अनियमितता नहीं हो पाएगी।

प्रतापगढ़, जेएनएन। धान की खरीद के बाद उसके उठान में पारदर्शिता लाने के लिए प्रतापगढ़ जनपद में भी नई व्यवस्था की गई है। क्रय केंद्र से धान का उठान करने वाले ठेकेदार व उसे रिसीव करके कुटाई करने वाले राइस मिल संचालक का डिजिटल हस्ताक्षर होगा। इस व्यवस्था से मिल संचालक व ठेकेदार धान का गबन नहीं कर पाएंगे। ऐसा करने पर वह पकड़ में आ जाएगा। इससे धान के उठान में पारदर्शिता आएगी।

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पिछले वर्ष धान व गेहूं की खरीद में लापरवाही सामने आई थी

एक नवंबर से धान की खरीद शुरू होगी। अभी तक कुल 34 क्रय केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें खाद्य विभाग के 17 व पीसीएफ के 17 क्रय केंद्र बनाए जा चुके हैं। पिछले साल धान व गेहूं की खरीद में केंद्र प्रभारियों व राइस मिल संचालकों की लापरवाही से करोड़ों रुपये का चावल व गेहूं फंसा पड़ा है। इसे सबक में लेते हुए शासन ने इस बार नया प्रयोग किया है। क्रय केंद्र पर धान के उठान के दौरान केंद्र प्रभारी व राइस मिल संचालक को खाद्य विभाग के एप पर डिजिटल हस्ताक्षर करना होगा। इससे धान का गबन नहीं होने पाएगा। अगर कहीं गड़बड़ी हुई तो वह पकड़ में आ जाएगा।

प्रतापगढ में 1116 कुंतल धान का हुआ था गबन

पिछले साल धान की खरीद के दौरान 1116 कुंतल धान का गबन हुआ था। यह गबन मंगरौरा के पीसीएफ केंद्र बरौली व शिवगढ़ के कूराडीह केंद्र पर हुआ था। केंद्र प्रभारी राइस मिलर्स को धान देने की बात कह रहे हैं, जबकि मिलर्स धान लेने से मुकर रहा है।

बोले, डिप्टी आरएमओ

डिप्टी आरएमओ अजीत त्रिपाठी ने बताया कि क्रय केंद्रों से धान के उठान के दौरान केंद्र प्रभारी व राइस मिल संचालकों का डिजिटल हस्ताक्षर होगा। अभी तक मिल संचालक मैन्युवल में हस्ताक्षर करते थे, जिससे उनकी मनमानी पकड़ में नहीं आती थी। शासन के इस प्रयोग से धान के उठान में पारदिर्शता आएगी।


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