बकरीद पर देश व कौम की तरक्की की दुआ
इलाहाबाद: कुर्बानी का त्योहार बकरीद बुधवार को इलाहाबाद मंडल के तीनों जिलों में परंपरागत उत्साह से मनाया जा रहा है। सुबह ईदगाह व मसजिदों में नमाज के दौरान कौम व मुल्क की तरक्की की दुआ की गई। इस दौरान सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए थे।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद
कुर्बानी का त्योहार बकरीद बुधवार को इलाहाबाद मंडल के तीनों जिलों में परंपरागत ढंग से मनाया जा रहा है। सुबह मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज के बाद घरों में जानवरों की कुर्बानी दी गई। घरों में लोगों ने हजरत इब्राहीम की सुन्नत (तरीका) अदा करने के लिए विशेष इंतजाम किए थे। इलाहाबाद शहर में ट्रैफिक भी डायवर्ट किया गया था। इससे यहां दोपहर एक बजे तक सड़कों पर ज्यादा भीड़ नजर नहीं आई। प्रतापगढ़, कौशांबी में भी बकरीद शांतिपूर्ण रही। दौरान-ए-नमाज देश व कौम की तरक्की की दुआ की गई। इसके बाद घरों में कुर्बानी की रस्म पूरी की।
इलाहाबाद परंपरागत ढंग से ईद उल अजहा का त्योहार मनाया गया। ईदगाह सहित अन्य मस्जिदों में लोगों ने नमाज पढ़कर देश व कौम की तरक्की के लिए दुआ मांगी। बच्चों में उत्साह देखते ही बना। नमाज के बाद लोगों ने अपने घरों में कुर्बानी की रस्म अदा की। प्रतापगढ़ के भूलियापुर ईदगाह पर सुबह सैकड़ों लोगों ने नमाज अदा की और अमनो अमन की दुआ की। कुंडा, लालगंज इत्यादि क्षेत्रों में भी परंपरागत ढंग से बकरीद मनाई गई। कौशांबी में मंझनपुर, सैनी, पश्चिम शरीरा में सुबह नमाज के बाद घरों में कुर्बानी की रस्म निभाई गई। ईदगाह और मस्जिदों के पास सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे।
बकरीद समाज के हित में खुद या खुद की सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का संदेश देने वाला त्योहार है। बकरे की कुर्बानी प्रतीक मात्र है, बकरीद हमें यह बताता है कि जब भी राष्ट्र, समाज और गरीबों के हित की बात आए तो खुद को भी कुर्बान करने से नहीं हिचकना चाहिए। अकबरपुर में नूरी मस्जिद के इमाम मौलाना असलम मिस्बाही की राय में इंसान को हर समय कुर्बानी देने का जज्बा रखना चाहिए। आलिमे दीन कहते हैं कि कुर्बानी के जानवर में दिखावा इसकी अहमियत को खत्म कर देता है। कुर्बानी करें तो ये जज्बा रखें कि अल्लाह की रजा के लिए कर रहे हैं, दूसरे को दिखाने के लिए नहीं। बकरीद अथवा कुर्बानी की ईद इस्लाम मतावलंबियों का प्रमुख त्योहार है। मक्का में इस दिन लाखों इस्लाम मतावलंबी हज के लिए जुटते हैं। मीठी ईद यानि रमजान की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। मान्यता है कि हजरत इब्राहीम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया। इस त्योहार को ईद-ए-कुर्बा भी कहते हैं जिसका मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'कर्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने वाले को कहते हैं। मान्यताएं हैं कि इस मौके पर खुदा इंसान के बहुत करीब हो जाते हैं।
वकरीद की नमाज के मद्देनजर शहर के कई इलाकों में यातायात प्रतिबंध और रूट डायवर्जन लागू था। सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक यह प्रभावी रहा। एसपी टैफिक के मुताबिक जंक्शन चौराहे से काटजू रोड की तरफ आने वाले वाहनों को मरकरी चौराहे एवं जानसेनगंज चौराहे की तरफ डायवर्ट किया गया। इसी तरह जानसेनगंज चौराहे से घटाघर की ओर आने वाले वाहनों का चमेलीबाई धर्मशाल एवं रेलवे स्टेशन चौराहे, पुराना जीटी रोड नूरुल्ला रोड से नखास कोहना की तरफ आने वाले वाहनों को रेलवे स्टेशन चौराहे एवं शौकत अली तिराहे की तरफ निकाला गया। एससी बसु रोड, जीटीरोड चौराहे से कोतवाली की तरफ आने वाले वाहनों को जानसेनगंज चौराहे की तरफ डायवर्ट किया गया था। रानी मंडी से कोतवाली की तरफ आने वाले वाहनों को अतरसुइया गोल पार्क होकर दरियाबाद की ओर भेजा गया। भारती भवन से लोकनाथ एवं लोकनाथ से कोतवाली की तरफ आने वाले वाहनों को कोठापार्चा, अजंता सिनेमा चौराहा जीरो रोड घटाघर की ओर आने वाले वाहनों का चमेलीबाई धर्मशाला एवं विवेकानन्द मार्ग की ओर डायवर्ट किया गया। शाहगंज चौराहे से ठठेरी बाजार की तरफ आने वाले वाहनों को रेलवे स्टेशन चौराहा एवं जानसेनगंज की तरफ से डायवर्ट किए गए थे। रामबाग बस स्टैण्ड चौराहे से ईदगाह एवं चंद्रलोक सिनेमा की तरफ आने वाले वाहनों को कोठापार्चा एवं रामबाग लेबर तिराहा, बैरहना भेजा गया। पुलिस चौकी बहादुरपुर से ईदगाह एवं कोतवाली की तरफ आने वाले वाहनों को कोठापर्चा, विवेकानन्द चौराहा से धोबीघाट चौराहे वाराणसी मार्ग पर जाने वाले वाहनों को म्योहाल चौराहे की तरफ भेजा गया। हिन्दू हास्टल चौराहा से लोकसेवा आयोग चौराहा, धोबीघाट चौराहा की ओर जाने वाले वाहनों को लोकसेवा आयोग चौराहे से डायवर्ट किया गया था।