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CoronaVirus : परिवार ही नहीं प्रयागराज को भी नाज है इन योद्धाओं पर Prayagraj News

अपनी जान जोखिम में डालकर इन डॉक्टरों ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया। इनके बचे अपने पापा के घर आने का इंतजार कर रहे हैं तो पत्नी अपने पति पर नाज कर रही हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 04:30 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2020 04:30 PM (IST)
CoronaVirus :  परिवार ही नहीं प्रयागराज को भी नाज है इन योद्धाओं पर Prayagraj News
CoronaVirus : परिवार ही नहीं प्रयागराज को भी नाज है इन योद्धाओं पर Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन।  डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है क्योंकि वह अपने ज्ञान और सेवा कार्य के माध्यम से व्यक्ति को दूसरा जन्म भी देते हैं। ऐसा ही कर दिखाया है प्रयागराज के छह डॉक्टरों ने। कोरोना वायरस से संक्रमित नौ मरीजों का इलाज कर उनमें से आठ को पूरी तरह से स्वस्थ करने वाले इन छह डॉक्टरों पर आज सिर्फ उनका परिवार ही नहीं बल्कि प्रयागराज भी नाज कर रहा है। विगत 16 दिनों से घर-परिवार से दूर होकर और अपनी जान जोखिम में डालकर इन डॉक्टरों ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया। इनके ब'चे अपने पापा के घर आने का इंतजार कर रहे हैं तो पत्नी अपने पति पर नाज कर रही हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने में डॉ. मो. सईद, डॉ. सुनील पांडेय, डॉ. अमरेश वर्मा, डॉ. अनिल, डॉ. प्रमोद व डॉॅ. रमेश यादव शामिल हैं। दैनिक जागरण ने इनके परिवार वालों से बातचीत की तो सभी ने सजल आंखों से खुशी जताई।

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पापा की याद में रो रहा है बेटा

जब मुझे यह पता चला कि शौहर की ड्यूटी कोरोना पाजिटिव मरीजों के वार्ड में लगी है तो मैं काफी सहम गई। मन में तमाम नकारात्मक भाव आने लगे।  लेकिन फिर देश के हालात को देखते हुए एहसास हुआ कि यह उनका फर्ज है और इससे पीछे नहीं हटना चाहिए। हमने भी उनका हौसला बढ़ाया। विगत 16 दिनों से वह हम लोगों से दूर हैं। मेरे दोनों बेटे पापा को बहुत याद करते हैं। छोटा बेटा तो पापा की याद में रोता ही रहता है, वह पापा के साथ रात में खेले बिना सोता नहीं था। उसका एक ही सवाल है कि पापा कब आएंगे? यह कहना है कि कोविड अस्पताल कोटवा सीएचसी में तैनात डॉ. सईद की पत्नी फरोग हसन का। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने फोन पर बताया कि आठ मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

12 साल के ध्रुव को पापा पर नाज :

डॉ. सुनील पांडेय भी कोटवा सीएचसी में तैनात हैं। इनका 12 साल का बेटा ध्रुव और पांच साल का बेटा दुष्यंत भी पापा के आने की राह निहार रहे हैं। ध्रुव कहता है कि मेरे पापा हमसे दूर हैं इसका कष्ट तो है लेकिन उन्होंने जिस बहादुरी के साथ कोरोना मरीजों का इलाज किया उससे हमें अपने पापा पर नाज है। डॉ. पांडेय की पत्नी डॉ. राखी तिवारी जिला महिला अस्पताल (डफरिन) में पैथॉलाजिस्ट हैं। कहती हैं कि आज मुझे इस बात पर गर्व हो रहा है कि मेरे पति ने ऐसी बीमारी से जंग जीता है जिनके नाम से लोग सहम उठते हैं। डाक्टरों की टीम के साथ उन्होंने जिस तरह से कोरोना के आठ मरीजों का इलाज किया वह हमेशा के लिए अविस्मरणीय रहेगा। आज मेरे परिवार को उन पर गर्व है।

पति ने गढ़ी राष्ट्रवाद की नई परिभाषा

डॉ. अमरेश की पत्नी श्रेयांका चौधरी ने कहा कि जब मुझे यह पता चला कि जिन कोरोना मरीजों का इलाज मेरे पति व उनके साथी कर रहे हैं वह ठीक हो गए हैं तो मुझे अपार खुशी हुई। आज गर्व से मैं यह कह सकती हूं आज जब पूरा देश विकट संकट में है तब मेरे पति राष्ट्रवाद की नई परिभाषा लिखने में सफल हुए। श्रेयांका कहती हैं कि आज 16 दिन हो गए पति का चेहरा देखे। दिन में एक बार फोन पर बात होती है। सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि मेरे श्वसुर और परिवार के अन्य सदस्यों को भी उन पर आज नाज है। वहीं डॉ. अमरेश ने कहा कि उनके जीवन का यह सबसे गौरवशाली पल है, जब देश सेवा करते हुए खुद पर गर्व हो रहा है।

घर आने पर पति की उतारूंगी आरती

मेरेे पति ने तो वह काम कर दिया जो मेरे लिए हमेशा के लिए यादगार रहेगा। जिस तरह से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को उन्होंने मात दिया है वह मेरे लिए गर्व की बात है। वो हम लोगों से 16 दिनों से दूर हैं। हमने ठाना है कि जब वह अपना कर्तव्य निभाकर घर आएंगे तो घर में प्रवेश से पहले उनकी आरती उतारूंगी और फिर उनके साथ सेल्फी लूंगी। यह कहना है डॉ. अनिल यादव की पत्नी डॉ. नीलम यादव का जो चाका पीएचसी पर तैनात हैं। डॉ. अनिल का बेटा अरवन पापा से एक ही सवाल पूछता है कि पापा आपने कोरोना संक्रमण के कितने मरीजों को ठीक किया? नौ साल की बेटी शांभवी पापा को अपना ख्याल रखने और घर जल्द आने का अनुरोध करती है।

परिधि ने कहा मेरे पापा सुपरस्टार

12 साल की परिधि कहती है कि मेरे पापा तो सुपरस्टार हैं। वैसे तो हम लोग उन्हें याद करते हैं लेकिन खुशी भी है कोरोना वायरस से जूझ रहे मरीजों को उन्होंने ठीक कर दिया है। आज मुझे अपने पापा पर गर्व हो रहा है कि जिस बीमारी से पूरा विश्व भयभीत है उस बीमारी से संक्रमित लोगों के बीच में रहकर पापा ने आठ मरीजों को ठीक किया। परिधि डॉ. प्रमोद की बेटी हैं। उनकी चार साल की बेटी मुम्मू भी पापा को बहुत याद करती है। डॉ. प्रमोद की पत्नी सीता देवी कहती हैं कि आज देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है, ऐसे में हमारे पति ने देश के लिए जो काम किया है वह हमेशा के लिए यादगार हो गया। सगे-संबंधी भी आज मेरे पति पर गर्व महसूस करते हैं। 16 दिनों से हम लोगों से वह दूर हैं, वह कैसे हैं, क्या खाते हैं? यह सब चिंता रहती है लेकिन यह सोचती हूं कि वह जो कर रहे हैं अपने देश के लिए कर रहे हैं।

पापा ने बढ़ाया हौसला तो मिली सफलता

डॉ. रमेश यादव भी पिछले 16 दिनों से कोटवा सीएचसी में कोरोना पाजिटिव मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं। मरीजों के इलाज के बाद वह होटल में रहते हैं। डॉ. रमेश कहते हैं कि जब कोरोना के मरीजों के इलाज में ड्यूटी लगी तो मेरी मां भयभीत हो गईं लेकिन पिता जी ने मेेरा हौसला बढ़ाया। पिता लल्लाराम यादव ने कहा कि इस समय तुम्हारा यही कर्तव्य है। पत्नी डॉ. रेखा कौशांबी जिले के मंझनपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. रेखा ने बताया कि पति ने जिस साहस के साथ कोरोना मरीजों के बीच रहकर अपना कर्तव्य निभाया है वह हमारे व पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है। हम सभी को उनके घर आने का इंतजार है। ब'चे भी पापा को हमेशा याद करते हैं।


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