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खतरे की पाठशाला: जर्जर दीवारों और दरकी छतों के बीच पढ़ाई के लिए मजबूर बच्चे

प्रतापगढ़ में स्कूल का गेट ढहने से छात्रा की जान चली गई। बात प्रयागराज की करें हादसे को दावत देने वाले विद्यालयों की भरमार है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रयागराज के जर्जर स्कूल भवनों को लेकर दैनिक जागरण ने पड़ताल की प्रस्तुत है रिपोर्ट।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 02:26 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 02:26 PM (IST)
खतरे की पाठशाला: जर्जर दीवारों और दरकी छतों के बीच पढ़ाई के लिए मजबूर बच्चे
प्रयागराज जिले में परिषदीय स्कूलों के 360 खस्ताहाल स्कूल भवन किए गए हैं चिन्हित

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कायाकल्प योजना से परिषदीय स्कूलों की सूरत बदलने के दावे हो रहे हैं। स्कूल भवनों की रंगाई-पुताई कराई जा रही है। संसाधन विकसित करने के दावे हो रहे हैं। बावजूद इसके जर्जर भवनों की संख्या जनपद में आधिकारिक रूप से 360 है। यह भवन देश के 'भविष्य' यानी छात्र-छात्राओं का जीवन खतरे में डाल रहे हैं। प्रतापगढ़ में स्कूल का गेट ढहने से छात्रा की जान चली गई। बात प्रयागराज की करें हादसे को दावत देने वाले विद्यालयों की भरमार है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रयागराज के जर्जर स्कूल भवनों को लेकर दैनिक जागरण ने पड़ताल की, प्रस्तुत है रिपोर्ट।

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कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई एक ही जर्जर कक्ष में

नारीबारी में पांच साल से जूनियर स्कूल के जर्जर भवन के एक कक्ष में प्राथमिक स्तर की कक्षाएं चलाई जा रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग तीस के चौड़ीकरण में तालाब के बगल में निर्मित प्राथमिक विद्यालय नारीबारी को नवंबर 2017 तोड़ दिया गया था। उसके बाद से सुरवल चंदेल में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय के रद्द घोषित भवन के एक कक्ष में कक्षाएं चल रही हैं। खास बात यह कि कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई एक कक्ष में कराई जा रही है। यह भवन कभी भी ढह सकता है। इसी के एक भाग में कार्यालय, दूसरे में एमडीएम और तीसरे में स्टोर रूम बनाया गया है। यहां प्रधानाचार्य के अतिरिक्त तीन अध्यापक, दो शिक्षामित्र नियुक्त हैं। एआरपी मान सिंह ने बताया कि लोहरा शंकुल के एआरपी का कार्यालय भी इसी जर्जर भवन में चल रहा है। खंड शिक्षाधिकारी शंकरगढ़ शैलपति यादव ने बताया कि विद्यालय के भवन निर्माण के लिए जो बजट आया है वह 2017 के बजट के अनुसार है। वह आवश्यकता से कम है। विभाग को जल्द ही पत्राचार कर बजट बढ़ाने के लिए कहा जाएगा।

1957 में निर्मित भवन जर्जर घोषित, नहीं हुआ ध्वस्तीकरण

विकास खंड सहसों के प्राथमिक विद्यालय उमरीमय टटिहरा में कक्षाओं के संचालन के लिए 1957 में भवन बना था। अब उसे जर्जर घोषित कर पास में नया भवन बना दिया गया है। इसके बाद भी जर्जर भवन को ध्वस्त नहीं कराया जा सका है। स्कूल आने वाले विद्यार्थी इस भवन में प्राय: खेलते देखे जा सकते हैं। यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। बारिश के दिनों में खतरा बढ़ जाता है। यही हाल मांडा विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय गेरुआडीह का है। यहां जर्जर भवन अब भी खड़ा है। विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या पांच, कमरों की संख्या तीन, छात्रों की संख्या 257 है। इसी विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हाटा का भवन भी खस्ताहाल है। यहां अध्यापकों की संख्या आठ, कमरों की संख्या चार, पंजीकृत विद्यार्थी 174 हैं। दोनों विद्यालयों के लिए नए भवन बन चुके हैं। कक्षाएं भी चल रही हैं लेकिन खस्ताहाल भवन में विद्यार्थी देखे जा सकते हैं। विकास खंड कोरांव के प्राथमिक विद्यालय खोचा में भी जर्जर भवन हादसे का सबब बन सकता है। यहां तीन कक्ष हैं। दो शिक्षक नियुक्त किए गए हैं जब कि विद्यार्थी 47 हैं। विद्यालय में मिड डे मील के लिए बना रसोई घर ध्वस्त हो चका है। शौचालय भी नहीं है।

फूलपुर क्षेत्र के जर्जर भवनों का ध्वस्तीकरण

फूलपुर: विकास खंड फूलपुर के 16 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय भवन जर्जर हाल में थे। इनके ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी कराई जा चुकी है। इनमें संविलियन विद्यालय वीरभानपुर, संविलयन विद्यालय ढोकरी, संविलियन विद्यालय हंसराजपुर, प्राथमिक विद्यालय पूरनपुर भी शामिल हैं। तात्कालिक तौर पर यहां कोई जर्जर भवन नहीं है।

35 भवन समय से पहले जर्जर हुए

जनपद में वर्ष 2006 से 2010 के बीच बने लगभग तीन दर्जन विद्यालय भवन जर्जर हो चुके हैं। ये कभी भी दुर्घटना की वजह बन सकते हैं। इनके ध्वस्तीकरण की तैयारी है लेकिन निर्माण के 15 वर्ष से पहले खस्ताहाल होने के लिए विभाग ने जिम्मेदारी तय करने का निर्णय लिया है। कार्यदायी संस्था व तत्कालीन बीईओ को नोटिस देकर भवन का खर्च वसूल किया जाएगा। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि शासन से निर्देश मिला है कि जो भवन 15 वर्ष से अधिक पुराने नहीं है लेकिन वह बिना किसी आपदा के जर्जर हो गए, उनके निर्माण में मानक की अनदेखी हुई है तो निर्माण प्रभारी, खंड शिक्षाधिकारी व अन्य जो उसके लिए उत्तरदायी हो उसपर कार्यवाही की जाय। ऐसे भवन चाका विकासखंड में एक, कौड़़िहार द्वितीय में एक, मेजा में छह, शंकरगढ़ में सात, उरुवा ब्लाक में दो हैं। कोरांव विकासखंड में चार, मांडा, जसरा, मऊआइमा में एक-एक भवन समय से पहले खस्ताहाल हो गए। बहरिया में पांच, हंडिया विकासखंड में चार और होलागढ़ में दो स्कूल भवनों को चिह्नति किया गया है।

ध्वस्त कराए गए 120 भवन

जिले में 360 जर्जर भवन चिह्नित हैं। 120 का ध्वस्तीकरण हो चुका है। 20 अन्य भवनों को ध्वस्त करने के लिए डीएम से अनुमति मिल चुकी है। पांच लाख से अधिक और 10 लाख तक की कीमत वाले 95 स्कूल भवनों को ध्वस्त कराने के लिए शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा गया है। 113 जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। इनकी कीमत दस लाख से अधिक आंकी गई है। 12 भवनों के मरम्मतीकरण का प्रस्ताव राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया है।


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